पर आँखें नहीं भरी | Par Aankhen Nahi Bhari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
837 KB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोड़कर नगरें दुम्हारों जा रहा हूँ
याद तो होगा तुम्हें वह दिन सलोना--
जब तुम्हारे द्वार पर झ्ाया अकेला,
शून्य नयनों में लगा था वेदना का मूक मेला ।
एक ही मुस्कान से जब भर दिया तुमने हृदय का रिक्त कोना
याद तो होगा तुम्हें वह दिन सलोना ?
में उसी सुस्कान की श्राभा चुराकर
दिगूदिगंतों में छुटाने जा रहा हूँ।
माद तो होगा तुम्हें वह गान मनहर-.
जो सुनाकर स्नेहू का वरदान माँगा
पत्रक-पललव की अरुएणिमा में मधुर मधुमास जाग्रा।
सब
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