भविष्य पुराण मूल सरल हिन्दी भावार्थ खंड 2 | Bhavishya Puran Mool Saral Hindi Bhavarth Khand 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
501
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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आत्मा को हिला कर रुख दिया, सामान्य श्रेणी की नहीं हो सकती । वे
ईश्वर की विशेष दंवी शक्ति से ही सयुक्त होती हैं। भक्तिमार्ग वाले
उनको 'अशावतार' के रूप मे मानत हैं और दार्शनिक विचार वाले
“महामानव --'युग पुरुए” आदि के नाम से उनका स्मरण करते हैं। इस
में तनिक भी सन्देहू नही कि भारतवर्ष पर विधभियों का जो भर्यकर
राजनैतिक और सास्कृतिक आक्रमण हुआ उनसे यहाँ के धर्म और
सम्कृति की रक्षा इन “देवी अवतारो” ने ही की । उन्ही के प्रभाव से
फिर उत्तर भारत में रामानन्द, कबीर, नानक, दादुदयाल जादि तथा
भहाराष्ट्र मे नामदेव, एक्नाथ, तुकाराम, रामदास आदि सन््तो की
परम्परा आरभ होगई। कई वेष्णव आचार्य भी कर्म क्षेत्र में आगे
बढ़े । इन सब न नि शस्त्न होते हुये भी केवल अपने आत्मबल और
बुद्धिबल से मुसलमान बादशाही की कट्टरता और अत्थाचारों तथा
उनके विद्वानों के बौद्धिक आक्षेपो का इस प्रकार मुकाबला किया कि
इस्लाम का भहान शक्तिशाली विजय रथ, जिसने दो चार सौ वर्ष के
भीतर ही पूव मे ईरान, अफगानिस्तान, तुकिस्तान, मगोलिया क्षादि को
पूर्ण रूप से अपना अनुयायी बना लिया और पश्चिम मे मिश्र से लेकर
स्पेन तक अपने धर्म का झण्डा गांदे दिया, वहूं भारतवर्ष में आकर
असफल हो गया । उसने इधर-उधर लूटमार और कुछ राज्यों पर सैनिक'
विजय अवश्य प्राप्त करली, पर वह भारतीय धर्मे को न दबा सका
बरन् घीरे धीरे स्वय उससे प्रभावित हो गया । इसी पराजय' को याद॑
करके मुमलमानों के सुप्रसिद्ध जातीय नवि हाली' ने लिखा है कि ' दोने
हिलाली' का जो महान शक्तिशाली बेडा सातो समम्दरों को पार कर
जाया, वह मग्रा के मुहाने मे आकर हूब ग्रया। जिन मंहामानवो नें
अपनी आत्मशक्ति से ससार मे इतना बडा चमत्कार कर दिखाया उनको
“लोकोत्तर देवी शक्ति मान कर कौन नमस्कार नही करेगा ।
इस प्रकार वर्तेमान युग का चर्णन करत-करते पुराणकार ने भारत
म अगरेजो के आगमन और कलकत्ता म उनको राजधानी स्थापित दोने
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