अंग सुत्तानी | Anga Suttani Part-iii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
924
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्७
सुनक्षत्र और ऋषिदास--ये तीन अध्ययन प्राप्त है। प्रथम वर्ग में वारिषेण और अभय--ये दो
अध्ययन प्राप्त हैं, अन्य अध्ययन प्राप्त नहीं हैं ।
विषय-वस्तु--
प्रस्तुत आगम में अनेक राजकुमारो तथा अन्य व्यक्तियों के वैभवपूर्ण और तपोमय जीवन
का सुन्दर वर्णन है | धन्य अनगार के तपोमय जीवन और तप से कृश वने हुए शरीर का जो वर्णन
है' वह साहित्य और तप दोनो दृष्टियो से महत्वपूर्ण है ।
रा
ु पण्हावाग रणाइं
नांस-बोघ ' ह
प्रस्तुत आगम द्वादशाज्ली का दसवा अग है। समवायाग सूत्र और नदी मे इसका नाम
'पण्हावाग रणाइ' मिलता है! । स्थानाग मे इसका नाम 'पण्हावागरणदसाओ' है । समवायाग में
'पण्हावागरणदसासु-यह पाठ भी उपलब्ध है। इससे जाना जाता है कि समवायाग के अनुसार
स्थानाग-निर्दिष्ट नाम भी सम्मत है । जयघवला मे 'पण्हवायरण' और तत्त्वार्थवा्तिक मे 'प्रश्नव्या-
करणम्' नाम मिलता है ।
विषय-वस्तु ः
प्रस्तुत आगम के विषय-वस्तु के बारे मे विभिन्न मत प्राप्त होते हैं। स्थानाग मे इसके दस
अध्ययन वतलाए गए है---उपमा, सख्या, ऋषि-भाषित, जाचार्य-भाषित, महावीर-भाषित, क्षौमक
प्रदन, कोमल प्रश्न, आदर्श प्रश्न, अग्रुष्ठ प्रइन और वाहु प्रइत । इनमे वर्णित विषय का सकेत
अध्ययन के नामो से मिलता है ।
समवायाग और नदी के अनुसार प्रस्तुत आगम मे नाना प्रकार के प्रव्नो, विद्याओ और
५ फल ५ पंतालिस
दिव्य-सवादो का वर्णन हैं! । नदीं मे इसके पेतालिस अध्ययनों का उल्लेख है | स्थानाग से उसकी
१ (क) समवाओ, पहइुण्णयसमवाओ सूत्र &८।
(ख) नदी, सूत्र ६० ।
२ ठाण १०११० ।
३ (क) कसायपाहुड, भाग १ पृष्ठ १३१ पण्हवायरण णाम अग ।
(ख) तत्त्वाथंवातिक ११२०. प्रण्नव्याकरणम् ।
४ ठाण १०११६
पण्हावागरणदसाण दस अज्झयणा पण्णत्ता, त जहा--उवमा सखा, इसिभासियाइ, आयरियभासियाइ,
महावीरभासियाइ, खोमगपसिणाइ, कोमलपसिणाइ, अद्वायपसिणाइ, मयृटुपसिणाइ बाहुपसिणाईं |
५ (क) समवाओं, पदण्णगसमवाओं सूत्र &८
पण्हावागरणेसु अद्ठुत्तर पस्िणसय अदठत्तर अपसिणसय अटूठत्तर पसिणापसिणय विज्जाइसया,
नागसुवण्णहिं सद्धि दिव्वा सवाया आाघविज्जति ।
(ख) नदी, सूत्र ६० ।
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