स्कन्द पुराण खंड 2 | Skand Puran Khand 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
508
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५)
स्तुति करते हुए समस्त मुनियों ने बड़े भक्ति भाव से कहा था 1
“है पुष्प जल के आशय वाली 1 हे परम शुभे | श्रापको हमारा नम-
स्कार हो ! श्राप विशुद्ध तत्त्व वालो धौर थुरों के द्वारा सेवित हैं। आप
भगवान रुद्र के अंग से परम वरिष्ठ है, आपको हमारा नमस्कार है। हे
वरों के प्रदान करने वाली देवि ! हे शिवे ! आपको प्रस्माम है। दोनों
लोकों में सौझ्य के प्रदान करने वाली देधि ! श्रापतो अनेको भूततों के समु-
दायों को समाश्रय देने वाली भ्रौर अनघ हैं, जापको हमारा नमस्कार है।
आप समस्त सरिताप्रो मे श्रेष्ठ हे । है पाप हरे | है विचितन्रते | श्राप
गन््यवें राक्षस, उरगो के द्वारा सेवित अंग वाली हैं। है सनातनि ! श्राप
समस्त प्राणियों पर कृपा करने याली ओर मोक्ष के प्रदान फरने बाली है ।
आप हमारा झल्याण फरें।”
रेवा प्रण्ड में भी नारदेश्वर, भ्रगिरत तीर्थ, सकुनद तीर्थ, कोटि तीर्थ,
अग्ति तोथे, जमदग्त्य त्तीर्थ आदि बहुसंख्यक्र नमंदा तट वर्ती स्थानों का
ना
माहात्म्य विस्तार पूर्वक वर्णन है । इसमे सन्देह नहीं कि इस पुराण में
तो्चों का माहात्म्य पौराणिक ग्र्थवाद की प्रणाली से बडी रोचकता पूर्वक
झौर बढा चढा किया गया है, जिससे सामान्य जनता की भक्ति उनके प्रति
सुहृढ बनी रहे । साथ ही यह भी स्वीकार करना पडता है किये स्थान
प्राकृतिक तथा परम्परामत दृष्टि से भात्म घुद्धि मे सहायक हैं, भौर णो
शुद्ध भाव से उन्तका सेवन करेगा वह अवद्य कल्याण साधव कर सफेगा 1
पर ऐेंद है कि इस समय स्वार्थी जनो मे धंग कमाने के उद्देदय से तरह-
तरह के ढोग फैलाकर वहाँ के वातावरण को दूषित कर दिया है, जिससे
उनकी चीन महिंसा अधिकांश मे नए हो गई है ) इस स्थिति का सुधार
हो पौर ताथ फिर से अपनी त्याग और तपस्यामय गरिमा को अ्राध्व करें,
इस उद्देश्य से हमते सकन्द पुराण” मे वर्शित हजारो त्रीथों के सबिस्तार
चर्गाम में से इस प्रकार चुने हुये तोथों का वर्णन दिया है, जिससे पाठकों
के हुदय मे ऐसी हो पवित्र और परमाथ युक्त भावनाप्रो वा उदय दो ।
प्रकाशक
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