संस्कृत - शब्दार्थ - कौस्तुभ | Sanskrit - Shabdarth - Kaustubh

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Sanskrit - Shabdarth - Kaustubh by चतुर्वेदी द्वारिकाप्रसाद शर्मा - chaturvedi dwarikaprasad sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरमा अरुभा ( सत्री० ) विद्युत्‌। विजली | शगाुमा ( ख्वी०) जिसकी प्रभा स्वरुप और स्थायी हो । विद्युत्‌ | विजली । आअणशाुमात्रिक ( वि० ) १ अदठिचुद्ध । अत्यन्त छोटा । २ जीव की संक्षा | अगरुरेणाः ( ५० ) चसरेस | घूलकण | अखराुवादः ( पु० ) ५ सिद्धान्त विशेष जिससे जीव या आत्मा अणु साना गया है। यह चच्चभाचार्य का सिद्धान्त हैं। २ शाखविशेष जिसमें पढार्था के अशु नित्य माने गये हैं | चैशेषिकदर्शन । ध्णिष्ट ( वि० ) सूच्मवर | सूचमतम | अति सूक्ष्म | ध्यंडः (पु०) अड्डे (न०) | १ अण्डकाश | २ अंडा | ध्ययड:--अरणरड (न०) | ३ कस्तुरी। ४ पेशी। € शिव का नाम ।--जु (एु०) $ पक्ती या अंडे से उत्पन्न होने वाले जीव यथा मछली, सर्प, छिपकली आदि । २ ब्रह्मा | अंडजा अयडजा | ( स्री० ) सुरक । करवरी । अंड्यरः | हे झगडधर | (3 ) शिव | अंडाकार--कृति धरयडाकार--कति शणरा ॥ ( ए० ) मछली । अंडीरः आअगडीरः झत्‌ ( धा० पर० ) [अतनि, अत्त-अतित| १ जाना। चलना | अमण करना सदैव चलना । २ ( वैदिक ) प्राप्त करना ३ वॉधना । झतने ( न० ) जाना | घूमना । झतनः (छु० ) अमणय करने वाला । पर्यठक। राहचलवू | झतर ( वि० ) सीधा दालवॉ। खडा ढालवाँ | घतठः ( छु० ) प्रपात | पर्दत का ऊपरी साग। ऊँचा पहाड़ | धतथा ( अन्यया० ) ऐसा नहीं | | ( वि० ) अंडे की शक्ल का। | ( छु० ) पुरुष । वलवान पुरुष | ( १६ ) अतस ली 5+घघ 5 योर इइन्‍इ1क्‍क्‍ै:3 इसे नकेनन............8383............ अतद्ह ( अब्यया० ) अनुचित रीति से | अवान्छित रुप से। अततुणः ( छु० ) $ अलक्कार विशेष । किसी वर्णनीय पदार्थ के गुण अहण करने की सम्भावना रहने पर भी जिसमें गुण अदण नहीं किया जा सकता उसे अतदुण अलक्षर कहते हैं। २ वहुचीहि समास का एक सेद | अतंत्र ( वि० ) [स्री०-अतंत्री] $ विना डोरी का। विना तारों का ( वाजा ) | २ असंयठ | घतन्‍्द्र अतन्द्रित | ( वि० ) सतर्क । सावधान । जागरूक । घतन्द्रिन । चौकस । होशियार । झतच्िल | आतपस-आअतपरुक ( वि० ) वह व्यक्ति जो अपना धार्मिक कृत्य नहीं करता या जो अपने धामिक कत्तव्यों से विमुख रहता है । झतके ( वि० ) युक्तियून्य । तर्क के नियमों के विरुद्ध । घतकरः (पु०) जो तक॑ के नियमों से अनभिज्ञ हो । अतकित (वि०) $ आकस्मिक | २ बे सोचा समझा । जो विचार में न आया हो | घझतर्कितम (क्रि० वि० ) आकस्मिक रूप से । अतकर्य ( वि० ) $ जिसके विपय में किसी प्रकार की विवेचना न हो सके । २ अचिन्त्य -। ३ अनिर्वचनीय । झतल (वि० ) जिसमें तरी था पेंदी न हो । झतलम्‌ ( न० ) सात अधेलोकों अर्थात्‌ पातालों में से दूसरा पाताल खतल+ः ( घु० ) शिव जी का नाम | --रस्प्ृश -सपशें ( वि० ) तलरहित । बहुत गहरा! जिसकी थाह न मिले | शतस (€ अव्यया० ) १ इसकी अपेक्ता । इससे। २ इससे या इस कारण से | अतः | ऐसा या इस लिये । इस शब्द के ससानार्थ बाची “ यत्‌ ” « यस्मात्‌ ” और “हि?” हैं।३ अतः। इस स्थान से । इसके आगे। ( समय और स्थान सम्बन्धी 1) इसके समानाथ्थवाची है “अतःपरं” या “अतऊर्व” । पीछे से +--अर्थ,--निर्मित्त इस




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