संस्कृत - शब्दार्थ - कौस्तुभ | Sanskrit - Shabdarth - Kaustubh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
61 MB
कुल पष्ठ :
1120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अरमा
अरुभा ( सत्री० ) विद्युत्। विजली |
शगाुमा ( ख्वी०) जिसकी प्रभा स्वरुप और
स्थायी हो । विद्युत् | विजली ।
आअणशाुमात्रिक ( वि० ) १ अदठिचुद्ध । अत्यन्त छोटा ।
२ जीव की संक्षा |
अगरुरेणाः ( ५० ) चसरेस | घूलकण |
अखराुवादः ( पु० ) ५ सिद्धान्त विशेष जिससे जीव
या आत्मा अणु साना गया है। यह चच्चभाचार्य
का सिद्धान्त हैं। २ शाखविशेष जिसमें पढार्था
के अशु नित्य माने गये हैं | चैशेषिकदर्शन ।
ध्णिष्ट ( वि० ) सूच्मवर | सूचमतम | अति सूक्ष्म |
ध्यंडः (पु०) अड्डे (न०) | १ अण्डकाश | २ अंडा |
ध्ययड:--अरणरड (न०) | ३ कस्तुरी। ४ पेशी। € शिव
का नाम ।--जु (एु०) $ पक्ती या अंडे से उत्पन्न
होने वाले जीव यथा मछली, सर्प, छिपकली
आदि । २ ब्रह्मा |
अंडजा
अयडजा | ( स्री० ) सुरक । करवरी ।
अंड्यरः | हे
झगडधर | (3 ) शिव |
अंडाकार--कृति
धरयडाकार--कति
शणरा ॥ ( ए० ) मछली ।
अंडीरः
आअगडीरः
झत् ( धा० पर० ) [अतनि, अत्त-अतित| १ जाना।
चलना | अमण करना सदैव चलना ।
२ ( वैदिक ) प्राप्त करना ३ वॉधना ।
झतने ( न० ) जाना | घूमना ।
झतनः (छु० ) अमणय करने वाला । पर्यठक।
राहचलवू |
झतर ( वि० ) सीधा दालवॉ। खडा ढालवाँ |
घतठः ( छु० ) प्रपात | पर्दत का ऊपरी साग। ऊँचा
पहाड़ |
धतथा ( अन्यया० ) ऐसा नहीं |
| ( वि० ) अंडे की शक्ल का।
| ( छु० ) पुरुष । वलवान पुरुष |
( १६ )
अतस
ली 5+घघ 5 योर इइन्इ1क्क्ै:3 इसे नकेनन............8383............
अतद्ह ( अब्यया० ) अनुचित रीति से | अवान्छित
रुप से।
अततुणः ( छु० ) $ अलक्कार विशेष । किसी वर्णनीय
पदार्थ के गुण अहण करने की सम्भावना रहने
पर भी जिसमें गुण अदण नहीं किया जा सकता
उसे अतदुण अलक्षर कहते हैं। २ वहुचीहि
समास का एक सेद |
अतंत्र ( वि० ) [स्री०-अतंत्री] $ विना डोरी का।
विना तारों का ( वाजा ) | २ असंयठ |
घतन््द्र
अतन्द्रित | ( वि० ) सतर्क । सावधान । जागरूक ।
घतन्द्रिन । चौकस । होशियार ।
झतच्िल |
आतपस-आअतपरुक ( वि० ) वह व्यक्ति जो अपना
धार्मिक कृत्य नहीं करता या जो अपने धामिक
कत्तव्यों से विमुख रहता है ।
झतके ( वि० ) युक्तियून्य । तर्क के नियमों के विरुद्ध ।
घतकरः (पु०) जो तक॑ के नियमों से अनभिज्ञ हो ।
अतकित (वि०) $ आकस्मिक | २ बे सोचा
समझा । जो विचार में न आया हो |
घझतर्कितम (क्रि० वि० ) आकस्मिक रूप से ।
अतकर्य ( वि० ) $ जिसके विपय में किसी प्रकार
की विवेचना न हो सके । २ अचिन्त्य -।
३ अनिर्वचनीय ।
झतल (वि० ) जिसमें तरी था पेंदी न हो ।
झतलम् ( न० ) सात अधेलोकों अर्थात् पातालों में
से दूसरा पाताल
खतल+ः ( घु० ) शिव जी का नाम | --रस्प्ृश
-सपशें ( वि० ) तलरहित । बहुत गहरा!
जिसकी थाह न मिले |
शतस (€ अव्यया० ) १ इसकी अपेक्ता । इससे।
२ इससे या इस कारण से | अतः | ऐसा या इस
लिये । इस शब्द के ससानार्थ बाची “ यत् ”
« यस्मात् ” और “हि?” हैं।३ अतः। इस
स्थान से । इसके आगे। ( समय और स्थान
सम्बन्धी 1) इसके समानाथ्थवाची है “अतःपरं” या
“अतऊर्व” । पीछे से +--अर्थ,--निर्मित्त इस
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