आधीरात कोई दस्तक दे रहा है | Aadhi Raat Koi Dastak De Raha Hai

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Aadhi Raat Koi Dastak De Raha Hai by के.आर. मलकानी - K. R. Malkaniश्री नरेश मेहता - Shri Naresh Mehata

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श्री नरेश मेहता - Shri Naresh Mehta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३ * परीकथाओं से भी अधिक विचित्र मैं समझता हूँ कि २५-२६ जूद को पकड़े गये लोगों में मैं पहला व्यक्ति था । और जब छुनाव समाप्त हो गये तथा इमरजेन्सी उठा ली गयी तभी मैं मुक्त किया गया । २६ जून को रात में दो बजे प्रधान-मन्‍्त्री के आवास से दिल्ली के पुलिस अधिकारी को यह जानने के लिए फोन किया गया कि मैं गिरफ्तार कर लिया गया कि नहीं तगकि वह आश्वस्त हो सके । चूंकि राजेद्धनगर के छोटे पुलिस थाने मे मैं थाइसलिए आई० जी० पी० निश्चयपूर्वक कुछ नही बता सके प्रधानमंत्री ने अपना आक्रोश व्यक्त किया, क्योंकि यहू सम्भावना हो सकती थी कि कहीं मैं पुलिस के चंगुल से भाग न निकलूँ । जिसके पास शस्त्र के नाम पर सिर्फ कलम हो ऐसे व्यक्ति से क्यों इतना विद्वेप था? मैं समझता हूँ कि यह विरोध को न सहना, के अलावा भी कुछ था| यह बह आधात था जो कि सत्य के उद्घोष को सुतकर होता है । और यह सत्य उस डेढ़ सरकार! के बारे से था जिसे बाबू जगजीवनराम ने वड़े ही विस्वात्मक ढंग से प्रस्तुत किया था और जा कि परीकथाओ से भी अधिक विचित्र था । “द मदरलैण्ड' ते शुरू से ही सरकार के गंदे पैरों का भण्डाफोड किया था | बल्कि द मदरलेण्ड” के पहले 'आरगेनाइजर' ने भी यही काम निवाह्य था | जब बागरवाला-काण्ड' घटित हुआ तब हम किसी दूसरे से अधिक उस काण्ड की बसिया उधेड़ी थी । उस समय जबकि दूसरे “मारुति” पर चढ़ने की सोच रहे थे तो,हमने ही कहा था कि यह वह कार है जो कमी भी सडक पर नही दिखलायी देगी । बहरहाल इमरजेन्सी के एक वर्ष पूर्व लोगों ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि खाँवियों प्र काण्ड देखे । क्र




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