भक्ति गीत गुंजर | Bhakati Geet Gunjar

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Book Image : भक्ति गीत गुंजर  - Bhakati Geet Gunjar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तारी एक प्रसन्नता मा, प्रभु पदनी प्राप्ति छे, तारी स्नेहल दृष्टि मा, ससार नी समाप्ति छे | एथी फरी फरी एकज माग, तित्थयरा मे पसीयतु ॥3॥ पेला गजसु मुनि ऊपर, प्रभु आप प्रसन्न थया, दीक्षा लीधी तेज दिने, एने तारा जेवा कर्या। ए प्रसंग राखी याद, तित्थयरा मे पसीयतु ॥4॥| मने श्रद्धा छे चौक्कस, प्रभु आप प्रसन्न थसो, मारी नानकडी आ आश, प्रभु आप पूरी करशो। जाणु छूं खुशी नो प्रभाव, तित्थयरा मे पसीयुत ॥5॥ असर सर सिद्ध प्रभु है पथ सिद्धि तर्ण + तुरक्रें हम्शरी उम्र... सिद्ध प्रभु है पथ सिद्धि दातार, सिद्धि दे दो हमे दीनदयाल ॥टेर ॥| अष्टकर्म अष्ट गुण सहारी, जिससे हो रही है ये आत्मा भारी, स्वरूप सिह का स्वय विसारी, जड से गया देखो जीव हारी, सिद्धा सिद्धि चाहु कीरतार ॥1॥ चदेसु निम्मलयरा, ज्योति जगा दे, अध्यात्म र्मण मे मन को लगा दे, गूजन हृदय की उनको सुनाये, पातकता सारी तू दिल से जला दे, गरल विष को देना निवार ॥2 | ८७८७७७७७८७७७७७७७७७७७७०/ रा: |.४७७७७७/०७७/७७७७/७०७७७/३७३/०७०




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