समाधि तंत्र इष्टोपदेश | Samadhitntr Eshtopdesh

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Book Image : समाधि तंत्र इष्टोपदेश  - Samadhitntr Eshtopdesh

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आचार्य प्रभाचन्द्र - Aacharya Prabhachandra

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श्री पूज्यपाद आचार्यकृत - Shri Poojyapad Krat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संमाधि-तन्त्र॑ १४ ु परमात्मा का खरूप -- अन्वय-अथ-परमसात्मा (निर्मल ) राग दप आदि आ- त्ममल, ज्ञानावरण आदि कर्म-मल ओर शरीर-सल से रहित ( केबल: ) अल्प पदों के सम्बन्ध से रहित अकेला, छः ) समस्त दोषों से रहित; ( विविक्तः ) सब पदार्थों से मिन्न, ( प्रशुः ) त्रिलोक का स्वामी,-इन्द्र, धरणीन्द्र, चक्रवर्ती आदि: से पूजनीय, ( अव्ययः ) अपने गुणों ओर पर्याय से कभी नष्ट न होने वाला, ( परमेष्ठी ) सबसे उच्च पद में स्थित, [ परात्मा ] समस्त संसारी जीवों से उत्कृष्ट, ( परमात्मा ) सबसे उत्कृष्ट आत्मा, ( इेश्वरः ) धनन्‍्तज्ञान, अनन्तदशन अनन्त सुख, अनन्त बींये आदि ऐश्वयं का धारक, (.जिनः) समेरत अन्तरज्ञ शबरुऑ-राग ह प आदिका तथा बहिरहः शन्रुओं -ज्ञानावरण, मोहनीय आदि कर्म-शब्रुओं का जीतने वाला. है | | क्रज्क्रा ब्या+ पताएँ' होती हैं, अतः उन अनन्त अनुपम गुर्णा के कारण उनके झनन्तों नाम है।.




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