समाधि तंत्र इष्टोपदेश | Samadhitntr Eshtopdesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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आचार्य प्रभाचन्द्र - Aacharya Prabhachandra
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श्री पूज्यपाद आचार्यकृत - Shri Poojyapad Krat
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संमाधि-तन्त्र॑ १४
ु परमात्मा का खरूप --
अन्वय-अथ-परमसात्मा (निर्मल ) राग दप आदि आ-
त्ममल, ज्ञानावरण आदि कर्म-मल ओर शरीर-सल से रहित
( केबल: ) अल्प पदों के सम्बन्ध से रहित अकेला, छः )
समस्त दोषों से रहित; ( विविक्तः ) सब पदार्थों से मिन्न,
( प्रशुः ) त्रिलोक का स्वामी,-इन्द्र, धरणीन्द्र, चक्रवर्ती आदि:
से पूजनीय, ( अव्ययः ) अपने गुणों ओर पर्याय से कभी
नष्ट न होने वाला, ( परमेष्ठी ) सबसे उच्च पद में स्थित,
[ परात्मा ] समस्त संसारी जीवों से उत्कृष्ट, ( परमात्मा )
सबसे उत्कृष्ट आत्मा, ( इेश्वरः ) धनन््तज्ञान, अनन्तदशन
अनन्त सुख, अनन्त बींये आदि ऐश्वयं का धारक, (.जिनः)
समेरत अन्तरज्ञ शबरुऑ-राग ह प आदिका तथा बहिरहः
शन्रुओं -ज्ञानावरण, मोहनीय आदि कर्म-शब्रुओं का जीतने
वाला. है | |
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पताएँ' होती हैं, अतः उन अनन्त अनुपम गुर्णा के कारण उनके
झनन्तों नाम है।.
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