समाधि तंत्र इष्टोपदेश | Samadhitntr Eshtopdesh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Samadhitntr Eshtopdesh  by आचार्य प्रभाचन्द्र - Aacharya Prabhachandraश्री पूज्यपाद आचार्यकृत - Shri Poojyapad Krat

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आचार्य प्रभाचन्द्र - Aacharya Prabhachandra

No Information available about आचार्य प्रभाचन्द्र - Aacharya Prabhachandra

Add Infomation AboutAacharya Prabhachandra

श्री पूज्यपाद आचार्यकृत - Shri Poojyapad Krat

No Information available about श्री पूज्यपाद आचार्यकृत - Shri Poojyapad Krat

Add Infomation AboutShri Poojyapad Krat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संमाधि-तन्त्र॑ १४ ु परमात्मा का खरूप -- अन्वय-अथ-परमसात्मा (निर्मल ) राग दप आदि आ- त्ममल, ज्ञानावरण आदि कर्म-मल ओर शरीर-सल से रहित ( केबल: ) अल्प पदों के सम्बन्ध से रहित अकेला, छः ) समस्त दोषों से रहित; ( विविक्तः ) सब पदार्थों से मिन्न, ( प्रशुः ) त्रिलोक का स्वामी,-इन्द्र, धरणीन्द्र, चक्रवर्ती आदि: से पूजनीय, ( अव्ययः ) अपने गुणों ओर पर्याय से कभी नष्ट न होने वाला, ( परमेष्ठी ) सबसे उच्च पद में स्थित, [ परात्मा ] समस्त संसारी जीवों से उत्कृष्ट, ( परमात्मा ) सबसे उत्कृष्ट आत्मा, ( इेश्वरः ) धनन्‍्तज्ञान, अनन्तदशन अनन्त सुख, अनन्त बींये आदि ऐश्वयं का धारक, (.जिनः) समेरत अन्तरज्ञ शबरुऑ-राग ह प आदिका तथा बहिरहः शन्रुओं -ज्ञानावरण, मोहनीय आदि कर्म-शब्रुओं का जीतने वाला. है | | क्रज्क्रा ब्या+ पताएँ' होती हैं, अतः उन अनन्त अनुपम गुर्णा के कारण उनके झनन्तों नाम है।.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now