यारों के यार तिन - पहाड़ | Yaron Ke Yar Tin Pahad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यारों के यार रश
ब्रांच के बुजुर्ग अ्रकाउन्टेंट जियालाल फ़ाइल में माया
खपाते-खपाते थक गये थे । सुनकर कलम नीचे रख दिया और
सिर हिलाकर बोले, “जीओ बेटा जीओ-**“तुमने तो निचोड़ ही
निकाल डाला इस धाँधली झ्लोर कवीलापरस्ती का। प्राज
ब्राह्मण ब्राह्मण का, वनिया वनिये का, कायस्थ कायस्थ का”!
सूरी कुरसी छोड़ उठ बैठा श्रौर जियालाल वाबू के पास जा
बड़ी आजिजी से कहा, “हिसाव-बाबू, इन सतवचनों में एक
जुमला जोड़ने की इजाजत मुझे भी हो जाए--ब्वाह्मण ब्राह्मण
का, वनिया बनिये का, कायस्य कायस्थ का श्रौर हर हृरामखोर
सुसरा साला चाँदी के चिट्टे जूते का ।”
ब्रांच में सन्नाठा छा गया,न किसी ने ध्ूरी से श्रांख मिलाई,
ने ठह्ायका लगाया, सिर्फ गोयल की मशीन टिक->*टिक**' टिक'**
करती रही।
एक तगड़ी गाली सूरी के होंठों तक झ्राई, मगर दरवाजे
पर बड़े वावू को देख मुहरबन्द हो गई। ऋ;ुभलाकर अपनी मेज
को श्रोर बढ़ा, कुर्सी खोची और कलमदान से कलम उठति-
हठाते बुड़बुड़ा दिया, “जनसे साले माँ के यार को मामा ही
अऋर्देंगे 1”
भवानी बाबू ने कुर्सी की ओर बढ़ते-बढ़ते सक्सेना को
आवाज दी, “ज़रा ट्रान्सपोर्ट तक चले जाओ--साहव को कुछ
इन्फ़र्मेशन! झ्लाज ही चाहिए। कोई मुश्किल पेश्न श्राए तो
सुपरिन्टेंडेंट विशनदायल साहव को मेरा नाम ले देना ।”
कपूर ने भेद-भरी नजर माथुर की नाक पर टिका दी।
ट्रांसपीर्ट का विशनदयाल माना हुमा फेसूगर है, जिसमे उस्ताद
बना लिया तो उसे बछ्शीश ही वस्शीय।
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