काव्य - मीमांसा | Kavya Mimansa

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : काव्य - मीमांसा  - Kavya Mimansa

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचन्द्र शुक्ल - Ramchandar Shukla

Add Infomation AboutRamchandar Shukla

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २३ ) ज्ञिनसे भाषा सुन्दर, रोचफ ओर प्रभाव-पृर्ण हो जाती हे, खोजफर शास्त्रीय-पद्धति के अनुसार अलकारों का रुप देते हुए एकन्नित किया है और उनका यथोचित विवेचन और उदाहरणों के द्वारा स्पष्टी फरण भी किया है। इस प्रकार उन्हों- ने अलकार-शास्त्र की सुन्द्र उत्पत्ति कर दी है, अत हम कह सकते हें क्रि “अलफार-भास्र वह है मिसमें भावो के भापा के द्वारा प्रकाशित करने के उन सव विधानों का विवेचन और स्पष्टी-करण वेज्ञानिक गैली से किया जाता है, जिन विधानों से भाषा में बेचित्रय पूण कला-फोशल और चातुरये-चम- स्फार के साथ रोचक सौन्दर्य्य भी आ जाता है ओर भाषा एक विशेष रूप से सुब्यवस्थित, समाकर्पफ और सुसज्जित हे जाती हैं ।” श्रव यद्द न्पष्ट ही हो गया होगा कि अलड्डारो का भाषा से क्‍या सम्बन्ध है, उनमें व्यापकता और उपयो गिता कितनी मात्रा में है। साथ ही यह भी ज्ञात हो गया होगा कि अलड्डारों का चेज्ञानिक विपेचन करने वाला शास्त्र अलटड्टार-शाखत्र फदलाता हे अभ्यास (१) अलड्डारों की व्यापक्ता के विपय में यहाँ क्‍या कहां गया (२) यहाँ अलड्भारों की उपयोगिता किस प्रकार दिखलाई गई है।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now