घाघ और उनकी कहावतें | Ghagh Aur Unki Kahavaten

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Ghagh Aur Unki Kahavaten by अशोक त्रिपाठी -ASHOK TRIPATHI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सात भ न्दर क्छरच्छसपर व्दद्टर कौर . हण छन्द रद ज्वरे 4 कदी मयेक्र दुक है चौर / | घ्ाघा ठनच्छे गहरे बोर॥ ककंशा (झगड़ालू) स्वी, काटने वाला घोड़ा, चस लेने लाला च्यायाघौश या मधिकारी कपे (घौढा देने वाला) नित, चोरो करने वाला पुत्त-इन सवफो गहरे पानो में डुबो देना चाहिए ! षयोकि ये सव समाज करे लिए कलंक ह ।




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