दीक्षा विशेषांक श्रमणोपासक | Diksha Visheshank Shramanopasak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धन्यवाद एवं आभार
बीकानेर के इतिहास का स्वणिम पृष्ठ-है-१६:फरबरी १६९३२
का ;दिन, जब २१ मुमुक्ष आत्माओं ने आचायें श्री- -नानेश की-नेश्राय
में भागवती दीक्षा अंगीकार की । अणुन्नत की-.-.पगडंडी-:-छोड़ उन्होंने
महान्नतों का राजमार्ग अपनाया और -जिनशासन-की :सेवा,-प्रभावना
हेतु स्वयं को समपित कर दिया । आत्मोन्नति -के. अशस्त मागे में अ्रग्र-
सर होकर इन भव्य दीक्षाथियों ने स्व-पर कल्याण का - पथ -चुना है
उन्हें वन्दन, अभिवन्दन ।
इसी उपलक्ष्य में प्रकाशित श्रमणोपासक का यह दीक्षा विशे-'
धांक पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है । 'दीक्षा के” विभिन्न आयामों एवं
सेद्धान्तिक-शास्त्रीय-व्यावहारिक पक्षों पर लेख, संस्मरण आदि सम-
न्वित सामग्री से यह अंक संग्रहणीय बन गया है । पूर्ण प्रयत्न किया
गया है कि सभी दृष्टियों से यह ' अंक उपयोगी एवं मननीय बने ।
इस दिशा में सम्पादक मण्डल के अथक परिश्रम को सार्थकता प्राप्त
हुई है एवं एत्तदर्थ धन्यवाद ज्ञापितं करना मात्र पर्याप्त नहीं है । भ्रन्य
सहयोगी विद्वान लेखकों सहित ,सर्वे श्री उदय नागोरी, जानकी नारायण
श्रीमाली, प्रो: सतीश मेहता एवं नानालाल जो पीतलिया (कार्यालय
सचिव) का विशेष' सहयोग मिला है उसके प्रतिमैं आभारी हूं' । दीक्षार्थी
परिचय, 'साक्षात्का र, 'आचार्य-त्रय के दीक्षा सम्बन्धी विचार एवं अन्य
पठनीय सामग्री जुटाने में इनंका उल्लेखनीय योगदान रहा है ।
श्री जैन आर्ट प्रेत के व्यवस्था प्रभारी, श्री राजेन्द्र रामपुरिया,
कर्मचारियों एवं कम्पोजिटरों ने इसके मुद्रण में अहनिश कार्य किया है
तदर्थ वे प्रशंसा के पात्र हैं । संक्षेप में इस विशेषांक .को मूर्त रूप देने में
प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष संलग्न सभागियों के प्रति मैं आभारी हूं ।
आंशा है यह विशेषांक मार्गदर्शक, उपयोगी एवं प्रेरक सिद्ध
होगा । ै ्््ि
बीकानेर ु ' --चम्पोलाल डागा
२४ मार्च १६६२ मंत्री, श्री अ. भा... सा. जैन संघ
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