108 उपनिषद | 108 Upanishad
श्रेणी : पौराणिक / Mythological, हिंदू - Hinduism
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
556
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९३ )
करना, सभाओं में भाषण देना, असत्य बोलना निषिद्ध हे ।
व्यवसाय वाशिज्य आदि कम न करे । शिष्य एकत्रित न करे।
विभिन्न आयोजनों द्वारा अपनी प्रसिद्धि न बढ़ाबे । वेदों का
ज्ञाता हो तो भी गो के समान निरहंकार रहे, दूसरों के द्वारा
मिला हुआ आदर तपोपाजंन में हानिमप्रद है । किसी अनुचित
कार्य द्वारा सन््यास धर्म को कल्ंकित न करे । सदा अपने
आश्रम के अनुकूल आचरण करे । कभी किसी पद् की कामना
न करे | आत्मा की ही उपासना करे किसी अन्य देवता की
नहीं । देवोत्सव अथवा मेले आदि में भाग नलें | परिचित
स्थान के उपयोग से दूर रहे । सभा स्थल्ष को श्मसान के समान
समझे । घन सम्पत्ति को कालकूट विष के समान माने ।”?
--नारद परिंब्राजकोपनिषद
उसका आहार कितना कैसा और कहाँ से प्राप्त हो इसकी
परम्पर्सी इस प्रकार हेः---
“स्ोजन को औषधि की दृष्टि से अर्थात् केवल प्राण रक्षा
के लिए लेवे । आह्यर ऐसा ले जिससे चर्बी न बढ़े | शरीर दुबला
दी रहे ।' ***** एक ही स्थान से भिक्षा न करे चाहे वह बृहस्पति
के समान ही पूज्य क्यों न हो ।'*''''सन्यासी के लिए घी
कुत्ते के मृत्र के समान है, शहद शराब के तुल्य है । चेल शूकर के
मूत्र के समान है । दूध नर मूत्र के समान है । इसलिए उसे सदेव
धुत आदि रहित भोजन ही प्रयत्नपूवक महणु करना चाहिए ।
घी आदि के पकवान कभी न खाय । *'*** घी' की रुधिर के
समान, एकत्र किये हुए अन्न को मांस के संमान त्याग दे ।
गंध लेपन को गंदी वस्तु के समान, हंसी सजाकं और घमंड को'
गो मांस के समान, परेचित घर की भिक्षा को चाण्डाल के
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shilparajpurohit
at 2024-07-01 14:30:11"Hindutva - Ved and Upnishad Knowledge"