चक्र भेद | Chakra Bhed
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्- <9 चक्र भेद है ३१
उसी सच्चो बात के कहने से हमको लिपाहियाों ने हचालात में
बन्द कर र्यि(। ऊहने लगे मूठो बात कहो तो छोड देंगे ।”
पू०--तो हयालात से कैसे निकल आये बावा । क्या झूठ
बोल के छुट्टी पाये हो
- “तुम ऐसी बात क्यों कहती हो बेटी ! झुझे तो आज पाच
घरस से तुम देखती हो। में गाजा भाग खाता हे । दम लगा
कर ही दिन विताता हूँ लेकिन मैं भूठ कधो नहीं बोलता न
फंभी बोलुगा | पुलीस जब किसी मामले में प्रपसधों को नही
पाती तब भैरे ऊपर चाप यद्दाता है. यह वात सहो है लेकिन
सायी दुनियां तो मुझे पागल कहा करतो है । मेरे पेन पागल
का पुलीस कर ही फ्या सकतो है। न हम उसके किलौ काम
के ह॑ न मुट्ठी ही गएम कर खकते हैं. उसकी ।
पू०--तय छुट्टी कैले मिली बाबा तुमको १
, “यह तो मेय मन है। जब मैंने चाहा कि निऊज्न जाऊँ
फथ निकल आया ।?
घपू०-भरे तब तो ठुमने सथ चौपट कर दिया बाया 1 जप
तुम भाग आये दो ठव हाकिम सुमझो विश्वासी नही समसंगें
| न तुम्दाये बात पर विश्वास करेंगे। नतोजा यही होगा कि
घमारे मालिक को फांसी हो जायगो। यह तुमने कया कर रिया ?
“नही में अपने मन से भाग कर नही आया हू बेटी!
चह्ा तो सुझे मौज था। गाजा भाग को भी मिल जाता रहा 1?
“तय्आये कैसे !” ,
ल०--आया हूं मैं प्रताप फो बचाने के घास्ते 1 |
' पू०-तो जो कुछ छुमने, बयान किया है यावा | उसके
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