शंखनाद | Shankhanad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1000 KB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ सयमराय का सयम
अनिल-मरइल मन्थित था हुआ,
गगन भी रज-गुम्फित था हुआ |
पिशद-ब्यूह-समूह रे गये,
रण अनेक प्रकार मये नये।
प्रपर बुद्धि अनीपति व्यग्न थे,
बहु समुत्सुक चीर समश्र थे।
हिविध थे द्ुफ्फेतन यों उडे,
मनुज़-नाशऊ-शासक ज्यों जुडे।
चरणु-घात सहस्त सदृस्त थे,
बट सहस्न प्रचलित शस्त्र थे।
कयस घर्षित द्व्य अजस्त थे,
अति घुम्ुक्तित पावक-अख थे।
रण का इग्रिता हुआ, दनादन
बहु सख्यक तोप. छूटीं,
धिपुज-शिरों के शुरुसागर पर
मंघों से विज्ञली हइटीं।
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