उद्यान | Udyan

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Udyan by शंकर राव जोशी - Shankar Rav Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ड्यान बा आस-पास फी ज़मीन में फल जाती हैं, जिससे उस स्थान पर दूसरे पीद्दों बम 'डणना कठिनन्सा हो जाता है । अतगुद इस स्थान पर चौड़ा रास्ता बनाने से जगह का सदुपश्रोग हो जाता 'है। इसी रास्ते की शाखा के रूप में अन्य रास्ते भी बनाए जाने चाहिए, जो सारे थारा मे जाल-से पीले रहें । ध्याग़ का कोई भाग ऐसा न रह जाना चाहिए, जिममें से रास्ते न गुज़रते हें! 1 कस-से-कम पुष्प- बाटिका के लिये तो इस नियम का पालन अनिवार्य है । ये रास्ते आठ फीट से कम चोडे कद्ापि न रक्‍़्खे जायें। रास्ते के दोनों याजश् पर मध्यम ऊँचाई तक बढ़मेवाले पुप्प-श्क्ष था मनोहर भुष्पवाल घोटे-छेटे पीदे लगाणु जाने चाहिएु। मनोहर प्रतिमा था फ़य्वारे के चारों श्रोर लगाए हुए पुष्प-रक्षों में से गृज़रने के लिये आड़ फ़ीट से फम चद़े रास्ते बनें, त्तो भी फोई,हर्ज नहीं। , यह कोई नियम नहीं है कि हरणक बाग़ में रास्ते होने ही चाहिए । तथापि हमाया निज का मत है फि रास्तों के बिना बाग़ों की सुंदरता मारी जाती है । हरएुक बाग सें टहलने के लिये एक हुयादा, रूबा-चोड़ा रास्ता होना ही चाहिएु,, ओर उस रास्ते की शाखाएँ कुछ कम चोडी ओर शाग,के ससब भागों में फेली हुई होनी चाहिए । ः 1 हमारे सत से तो बाग के रास्ते पक्के ही बनाए जाने चाहिए-+ “बढ़े पत्थर डालकर उन पर गिद्दी (पकी हुई“तोदी इंटे-) दबा दी जायेँ। बंगाल से रास्तों पर सुरख़ी ( इंटों का चुरा ) बिद्धाते हैं। कहीं-कहीं पत्थर के कोयले की राख भी विदाई ,जाती दै। परंतु , ज़्यादातर रेतीं हो रास्तों पर बिद्धाने के काम में लाई जाती है। ., फूलों के वृक्ष, पीदे ओर लताएं; उसी स्थान पर लगानी चाहिए, जड्ढोँ सूर्य का श्रकाश खूब पढ़ता हो । कारण, पीदों का जो भाय सूर्य के प्रकाश से वंचित रहता है, डसमें फूल कम होते हैं । सूर्य:




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