चलन - कलन | Chalan Kalan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
934 KB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साधारणफर्लों का सम्बन्ध । २१
दूं अर से
(६) रज्कोछेय जब ते यज़्क््त्क्ता !
> तार __ ९१
(७/ एल्टड यु हाब अ .उक्ुउछूत .
चार
(८) रजू-कोठ 'य त्वाय ता फ्क््क्त्क् 1
इन के शोक और दोदे विदार्थियों के भ्रभ्यासायथ छिसते दैँ।
स्छोक । *
जीवया कोटिमौज्या च पएथक् चन्द्रो विभावितः।
आद्योडधनात्मकः फार्य्येस्सम्बन्धौ चापज्ञो ततः॥।
दोद्दा ।
जीवाह्त जो रूप दो ऋण फार्मुकसम्पन्ध |
, कोटिज्याह्ृत रूप वा सो फामुंकसम्पन्ध.॥
कोक। कस
रूपी छेदनक्रोटिच्छेदनझत्या ह॒तावन्यः।
सधनस्वदा भवेतां चापमवी तत्र सम्बन्धी ॥
दोहा...
छेदनकऋतिहत रूप हो सोई 'चापसम्धन्ध।
ऋणकोटिच्छेदकृतिहन॒त एक द्योव सम्बन्ध ॥
श्शोक ।
फोटिव्या स्पश्मक्ता या फोटिस्पशहतों गुणः 1
आणस्तदा मवेगं तौ सम्बन्धी चापन्नौ सदा ॥।
५4,
द्वोद्दा।
सपशेविद्नत शुग कोटि को सो दे घनुसम्दन्ध 1
कोटिस्पशे विमक्त वा ऋणनीवा सम्पन्ध 1
१५ | इस प्रकम में विद्यार्थियों को रद्ाहरण फे उत्तर झरने को
युक्ति दियठाने के डिये कुछ उद्ाइरणों फा उत्तर निझ्ाठ कर फे
डिखते है ।
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