चलन - कलन | Chalan Kalan

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Chalan Kalan  by सुधाकर द्विवेदी - Sudhakar Dvivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साधारणफर्लों का सम्बन्ध । २१ दूं अर से (६) रज्कोछेय जब ते यज़्क््त्क्ता ! > तार __ ९१ (७/ एल्टड यु हाब अ .उक्ुउछूत . चार (८) रजू-कोठ 'य त्वाय ता फ्क््क्त्क् 1 इन के शोक और दोदे विदार्थियों के भ्रभ्यासायथ छिसते दैँ। स्छोक । * जीवया कोटिमौज्या च पएथक्‌ चन्द्रो विभावितः। आद्योडधनात्मकः फार्य्येस्सम्बन्धौ चापज्ञो ततः॥। दोद्दा । जीवाह्त जो रूप दो ऋण फार्मुकसम्पन्ध | , कोटिज्याह्ृत रूप वा सो फामुंकसम्पन्ध.॥ कोक। कस रूपी छेदनक्रोटिच्छेदनझत्या ह॒तावन्यः। सधनस्वदा भवेतां चापमवी तत्र सम्बन्धी ॥ दोहा... छेदनकऋतिहत रूप हो सोई 'चापसम्धन्ध। ऋणकोटिच्छेदकृतिहन॒त एक द्योव सम्बन्ध ॥ श्शोक । फोटिव्या स्पश्मक्ता या फोटिस्पशहतों गुणः 1 आणस्तदा मवेगं तौ सम्बन्धी चापन्नौ सदा ॥। ५4, द्वोद्दा। सपशेविद्नत शुग कोटि को सो दे घनुसम्दन्ध 1 कोटिस्पशे विमक्त वा ऋणनीवा सम्पन्ध 1 १५ | इस प्रकम में विद्यार्थियों को रद्ाहरण फे उत्तर झरने को युक्ति दियठाने के डिये कुछ उद्ाइरणों फा उत्तर निझ्ाठ कर फे डिखते है ।




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