चिरंजीवी | Chiranjivi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
844 KB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हनु टूट, हनुमान नाम फिर-
इसका यहाँ पड़ा था,
लेकिन बालक सबके सम्मुख-
निर्भय वहाँ खड़ा था,
इतना तो है सत्य कि इनर्मे-
अतुलित वल-विक्रम था,
अन्य सभी से भिन्न घर पर-
इनका जीवन क्रम था,
इनकी गति थी पवन देव-सी-
बुद्धि शारदा जैसी,
इस भूतल पर कहीं दूसरी-
शक्ति न दिखती वैसी,
+ + +
बचपन से ही ऋषि-मुनियों के-
सँग करते थे क्रीड़ा,
खेल-खेल में उन सबको भी-
दे देते थे पीड़ा,
कभी किसी की कम्बल लेकर-
यहाँ-वहाँ रख जाते,
कभी किसी की गठरी लेकर-
उसको ही ललचाते,
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