वेद - विद्या - निदर्शन | Veda - Vidya - Nidarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आदित्य श्३ नथी। पर विज्ञाच के वणुन में श्रन्य संज्ञाद्मों के ज्ञान के साथ इस बात के ध्यान में रखने का भी श्रचुमव होता गया | इस ग्रन्थ के शध्ययन के लिए, निम्नलिखित बातें श्रावश्यक हैं-- १. संस्कृत भाषा का ज्ञान । २. वेद के आधिभोतिक श्रौर श्ाधिदेविक ग्रर्थो का ज्ञान । ३, इन झर्थों में सदायक वेदिक संज्ञाश्रों का ज्ञान । ४. वेंदिक-प्रक्रिया का ज्ञान । इसका थोड़ा सा परिचय इस ग्रन्थ से भी मिलेगा । तदथ॑ सम्पूर्ण ग्रन्थ का पाठ करना होगा । बीच-बीच मैं देखने से समभ न श्राएगी । ५. बेद, ब्राह्मण श्रौर महाभारत, शान्ति पवें के सोच्तुधर्म का निरन्तर पाठ । इस मोल्षुघमं में सृष्टि-विद्या का विस्तृत उल्लेख है | ६. पुराणों के सग॑ श्रौर प्रतिसग प्रकरणों का ज्ञान । पुराणों के इन प्रकरणों में ्रति प्राचीन सामग्री सुरक्षित है । विशेषताएँ--इस ग्रन्थ में अनेक ऐसे रदस्य हैं, लिन पर संसार भर के वैंज्ञानिकों को विचार करना पड़ेगा | ८०८०४ भूतों से प्रथक्‌ नहीं, एा8(67 श्र धप८एटूत प्रथकू नहीं, प्ण्8प८ के परमाणु हैं, ये जटिल प्रश्न हैं ।” वायु, श्रग्नि: और श्राप: के परमाणु हैं, श्रौर ये ही वास्तविक तत्त्व हैं । ये ही पप्टा८ण४, दा£टप०08 श्र ए८एएए005 के रूप में श्रब पुनः माने जा रहे हैं। भविष्य में यह तथ्य: सबको ज्ञात हों जाएगा । पाश्चास्य बिज्ञान यह मद्दीं बता सका कि विद्यत्‌ के शुष्क (0०५पंए6) श्रौर श्राद्ध (०८8४८) रूप क्यों हैं । मद्दासूतों कडनयापरयरलि तरल १. डा० श्राईन स्टाईन सहदा विचारक को कहना पड़ा-- 802 घघ0 धाषा्ए 27९ 1ा01500ुपा508016. (१8८ (एप्एटा$6 8 11, छिप8टंण, ए. 16) ं हे ज देखो श्राग , पु० €्द। कक. - पी दो




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