चीन का स्वाधीनता युद्ध | Chin Ka Swadhinata Yuddh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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No Information available about कृष्णचन्द्र विद्यालंकार -Krishnachandra Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विदेशियों की लूट पसोट ११
. व्यापारिक सन्धियां हुई और उनके लिये भी पांचों बन्दरग्राहद
ग्योले गये । कुछ अन्य राष्ट्रों ने भी याद में ये अधिकार प्राप्त
करलिये। . .. . -
ईसाई पादरी
लेकिन चीन के लिये विदेशी व्यापार से भी झधिक खतरनाक
थ ईसाई धर्म के पादरी, जिन्हें सन्धि फे अनुसार चीन सरकार
को अपन देश में धर्म प्रचार फी इजाजत ठेनी पडी । वाद में चीय
पर जितनी आफ घयाई, प्राय उन सय का कुछ न कुछ कारण
था ईसा के प्रेमर्म क प्रचारक ये पादरी | “इनका बर्ताव निद्ा-
यत गुस्तायाना और भडकाने वाला था। लेक्नि विईशी होने
५ # कारण चौनी अद्राक्षतों मे इनपर मुकदमा न चलाया जा सकता
था | फिर इन्द्रोंने कुछ समय बाद यह भी मांग पेश की कि
ईसाई चीनियों पर भी चीन की अदालते मुकदमा नहीं चला
सऊतों | गांव वालों को ये ईसाई पादरी शौर उनत्र' नये शिष्य
भडकाते रद्दते थे । यदि कभी गांव वालों ने क्रोध में आकर किसी,
पादरी की हृत्यां कर डाक्षी, तय उनकी पीठपर रहने वाली साम्राज्य
यादी सरकार आा घम्ररुती और उनके हरजाने के नाम पर रुपया
बसूल करती, अनेक शहरों पर अ्रधिकार कर लेती या बुछ सास
५ रिध्ायत, जिनका किसी भी तरह समथन नहीं क्या जा सकता,
! प्राप्त कर लेती ।” पिछले ४० साझ्षों के इतिद्दास में यह् घटना
बार २ हुदराइ गई दै। सर जोन जुडरफ ने इसी प्रकार की घट
के
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