बड़ा आदमी | Bada Aadami
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बड़ा प्रादमी हू
“नहीं बाबू सा मुझे गुछ भी पता सही है।
इसके बाई मैंने उससे इघर-उघर के कई प्रए्ण किए पर उससे मुझे किसी
तरह का कोई सुपग मही मिला) उसका सभी प्रो का एक-इ उत्तर भौर
उप्तके पर्चात् दहरा मौस 1 मुझे सपा किः यह भ्यवित किछौ विशेष स्पकितित्ड से
झ्ार्तदिस है । पैंगे भी उससे प्रधिक नही पृद्ठा | ठद मैं एक धम्प पुराने पौकर
के पाक्त मपा | उसमे जी मुझे बंसा ही उत्तर दिया | ठब मैंने एक मये तौकर से
पूष्ठा । उसने भी मुझे पेसा ही रुचर दिया पर उतने फ्रपन उत्तर में मु्में: एक
हया संकेश दिया । बह संकेश यह या फि मैं पायछ बूद सौकर 'सम्पत से सिू ।
सम्पतत एस्ट में मर सह में हौड् प्रतिक्रिया को | मंतरूब यह कि जमिसी के ईसी
शामभारी चित्र के पायक्र की तिकडटमदाडिया एसनी प्रसिद्ध हुईं कि शोग भार
सौ बीसी करनेबालों को मिस्टर सम्पत कइने सगे । मुकेश लान क्यों यह प्रता-
सभ्य हू दविपणास हफ़! दि अह लोकर अरूर इस सभी लौझरों से फ्िल्त होपा रे
प्रदपप ही गह* ?
मै उसके पास गया । डम्पत भ्रप्रेम की पिहुक में था। बह हरदम भ्रफोस
हक शसे में यत्त रहता था। बड़ प्रत्पन्ठ बेटोल भौर दुबवता-पतखा था । मुझे देखते
हुए बह प्रद्दिि हुंएी ईसा | दा्परिक दी तरह रंदती ऊंदी करके दाश्ा “मरी
समझ में भाप संठोप बादू के दोस्त हैं। धायद प्रापषषा साम्र बृस बायू है!
छांदे दाडू प्रापष्टी डड़ी प्रणंसा करते ये । बपा कझः 7” बहु एकदम चुप हो
शया। मैं बुछ बेर मौद लड़ा रहा। छोबा छायद बह प्रपनी बात बहता%हुता
ऊुक्त रुपए ६१ प९ थोड़ी है देर मे घुछे घाछ्ूम हुए। कि बह शध्ते की पिसक में
बाठ भा क्रम छोड़ बैठा ई । पैसे मौद इंसौ के छाढ ५हा “प्राप पड रहे थे कि
मै क्या करूँ ?7
#हां मैं घाहदा पा हि झ्ापदी सूरत प्र्छी तरह से रेप । पर इस गशे
ग्रौर कप दियाई देगे के बाएए भाषकों टीक पे मरी रेख पा रहा हैं) ६ प्रापकी
सौगरप णाहर ऋहता हू हि मैं प्रणिक मूड सही हूं ।”
उपके इस रूपन पर मुझे जोर की इंसी धरा पर । कंकाए-माज ! डिस्टूठ
इर्म्देद इस प्रषार हो बता है, घंसौ हुई धांसे उपरी हुई पा्ों को हष्टिर्पा
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