बड़ा आदमी | Bada Aadami

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bada Aadami by यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'

Add Infomation AboutYadvendra SharmaChandra'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बड़ा प्रादमी हू “नहीं बाबू सा मुझे गुछ भी पता सही है। इसके बाई मैंने उससे इघर-उघर के कई प्रए्ण किए पर उससे मुझे किसी तरह का कोई सुपग मही मिला) उसका सभी प्रो का एक-इ उत्तर भौर उप्तके पर्चात्‌ दहरा मौस 1 मुझे सपा किः यह भ्यवित किछौ विशेष स्पकितित्ड से झ्ार्तदिस है । पैंगे भी उससे प्रधिक नही पृद्ठा | ठद मैं एक धम्प पुराने पौकर के पाक्त मपा | उसमे जी मुझे बंसा ही उत्तर दिया | ठब मैंने एक मये तौकर से पूष्ठा । उसने भी मुझे पेसा ही रुचर दिया पर उतने फ्रपन उत्तर में मु्में: एक हया संकेश दिया । बह संकेश यह या फि मैं पायछ बूद सौकर 'सम्पत से सिू । सम्पतत एस्ट में मर सह में हौड् प्रतिक्रिया को | मंतरूब यह कि जमिसी के ईसी शामभारी चित्र के पायक्र की तिकडटमदाडिया एसनी प्रसिद्ध हुईं कि शोग भार सौ बीसी करनेबालों को मिस्टर सम्पत कइने सगे । मुकेश लान क्यों यह प्रता- सभ्य हू दविपणास हफ़! दि अह लोकर अरूर इस सभी लौझरों से फ्िल्त होपा रे प्रदपप ही गह* ? मै उसके पास गया । डम्पत भ्रप्रेम की पिहुक में था। बह हरदम भ्रफोस हक शसे में यत्त रहता था। बड़ प्रत्पन्ठ बेटोल भौर दुबवता-पतखा था । मुझे देखते हुए बह प्रद्दिि हुंएी ईसा | दा्परिक दी तरह रंदती ऊंदी करके दाश्ा “मरी समझ में भाप संठोप बादू के दोस्त हैं। धायद प्रापषषा साम्र बृस बायू है! छांदे दाडू प्रापष्टी डड़ी प्रणंसा करते ये । बपा कझः 7” बहु एकदम चुप हो शया। मैं बुछ बेर मौद लड़ा रहा। छोबा छायद बह प्रपनी बात बहता%हुता ऊुक्त रुपए ६१ प९ थोड़ी है देर मे घुछे घाछ्ूम हुए। कि बह शध्ते की पिसक में बाठ भा क्रम छोड़ बैठा ई । पैसे मौद इंसौ के छाढ ५हा “प्राप पड रहे थे कि मै क्‍या करूँ ?7 #हां मैं घाहदा पा हि झ्ापदी सूरत प्र्छी तरह से रेप । पर इस गशे ग्रौर कप दियाई देगे के बाएए भाषकों टीक पे मरी रेख पा रहा हैं) ६ प्रापकी सौगरप णाहर ऋहता हू हि मैं प्रणिक मूड सही हूं ।” उपके इस रूपन पर मुझे जोर की इंसी धरा पर । कंकाए-माज ! डिस्टूठ इर्म्देद इस प्रषार हो बता है, घंसौ हुई धांसे उपरी हुई पा्ों को हष्टिर्पा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now