नारद पुराण द्वितीय खंड | Narad Purana Khand-ii
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
488
श्रेणी :
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जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो शब्द [
नारद पुराण” के इस दूसरे खष्ड मे कुछ ऐसे विपयो को
सामावेध हुआ है, जो सामास्यत. पुराणों से सम्बन्धित मही समझे जाते |
उदाहरणार्थ इसमे ज्योतिष-शास्त्र का विषय इतने विस्तार से दिया
गया है कि उत्तका एक स्वतन्न्र ग्रम्थ ही बन सकता है। उस्मो प्रवार
विविध देवताओ' के मम्त्र-विधान भी समस्त क्रियाओं तथा उपासना
विधि के साथ खूब समझाकर तिये गये हूँ। यद्यपि स्थाताभाव के
कारण द्वम इन विपयो का वणन पूर्ण रूप से नही कर सके हैं तो भी
उप्तका हितता अश हमने ग्रहण किया है, वह भी पाठकों को पर्याप्त
उपयोगी और जान यर्घक प्रतीत होगा इसमे सन्देह नही ।
पुराणो का मुख्य लक्षण सृष्टि और प्रल॒य, मग्वन्तरों का पर्णन,
ऋषि और राजवशो का इतिहास आदि पाच विपयो को ही माला गया
है भोर शिवपुराण, विष्णु पुराण, श्रीमदुभागजत, वायु पुराण, सार्बाष्ठेय
पुराण आदि कई प्रसिद्ध पुराणों मे उप्तका ध्यान भो रखा गया है, पर
अन्य कितने हो पुराणों थे इन विषयों को स्चिप्त करके अन्य जीवनो-
प्रयोगी विषयों को सी सम्मिलित कर दिया गया है। “अस्निपुराण”
हो इस हॉष्टि से प्रसिद्ध हे ही, जिसे विद्ानु लोग प्राचीन काल गए
“विश्वकोश” कह चर सम्मानिद करत हैं। इठमे ज्योतिष, अस्युयेद,
मूत्रि निर्माण, एद्र निर्माण, युद्ध शास्त्र, स्वप्त-विज्ञान, शत्रुन विचार,
रत्न परीक्षा, पशु बित्रित्सा, छन््द शास्त्र, व्याकरण, योग शास्त्र आदि
प्रन्डेढ सो विपयों भा विदेचन किया गया है । इसो प्रव1र “गएण
पुराण” में समस्त रोगो की औषसधियो तथा निकित्सा प्रधाली का इतने
विस्तार से वर्शव क्या यया है कि उसमे से आयुर्वेद का एक साज्भो-
पाज्ञ प्रन्य ही तेवार हो सकठा है ॥ इसके अतिरिक्त ज्योतिष, सामुद्रिक,
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