जेसलमेरनो परिचय | Jesalmer Collection

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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, ६७ ज्ञानभंडारनों सप्रुद्धार . हे । उपर जणावेढा त्रण भेडारों पेक्नीना श्री जिनभद्रसूरिज्ञानभंडार समग्रंगा तथा वेगडगष्छीय अने वड़ा उपाअ्रयना-पंचना ज्ञानर्भडारना ताडपत्रीय अने ताडपतन्नना आझाकारवाढा काग्रठ्ओ उपर लखाएला ग्रन्थोनां पानांने एकत्रित राखंवा माटे प्रत्येक पानाने नवी खुतराउ दोशीथी परोवोने दरेक ग्रन्थवी उपर-नीचे प्रमाणयुक्त नबी कापष्ठपश्किओों मकीने तेमने बांधवामां आव्या छे. मा ग्रमाणे दोरीथी बंधायेला प्रत्येक ग्रन्थने नवा बखना प्रमाणयुक्तत वंधनथी बांघवार्मा भाव्यों छे. प्रत्येक ग्रभ्थना उपरनी काप्ठपट्टिकरा उपर ग्रन्थनु नाम भने क्रमांक छखवामां झाव्या छे, ने प्रत्येक ग्रन्थना बद्षबधन उपर ग्रन्थनों क्रमांक भाषवामां आव्यो छे. वसश्रना बंधनमां बंधाएला प्रत्येक ग्रन्थने ते ते प्रन्थना प्रमाणवाद्ठा एल्युमिनियमना डबामां मूकवामां आाव्यो छे. आा एल्युमिनियमना डबा पण नवा बना- ववामां आाग्या छे. भा डबा उपर पण ग्रन्थनों क्रमांक आपवार्मां आव्यो छे. जे इबामां एकथी वधु प्रन्थ मूकवामां आव्या छे तेना उपर पण तेमां रहेला ग्रन्थोना ऋमांक छएया छे. भा प्रमाणे तैयार करेछा एल्युमिनियमना डबाओने लोखडवा मजबूत कबाटोमां मृकवामां भाग्या छे. अने प्रत्येक कबाट उपर लेमां आवेला क्रमांकों कखवामां आव्या छे. कबाटो बहार तैयार करावीने भोंयरामा रूई छई शकाय तेम न होवाथी भोंयरामां ज छोखंइनी चादरो वगेरे तदुचित सामान छईने जोधपुरना कुशत्ड कारीगरो द्वारा ते तैयार कराव्यां छे. भोयराना जे खंडमां संड्ाार छे ते खंढमां जवातुं प्रवेशद्वार मांढ २॥४श)॥ फूटनी मासपास छे. ताबपत्रीय, अने ताइपत्रीय आकारना कागहछ उपर छखायेछा ग्रन्थो सिवायता क्ागछठ उपर लखायेढ़ा ग्रन्थीनी कुक १३३ पोथीमो छे. भा पोथीओमां २२५७ हृस्तप्रतो छे. प्रत्येक पोथीमां जनेक हस्तप्रतो मृकवामां आवी छे, जे प्रस्तुत सूचीपत्र जोवाथी जाणी शकाशे. प्रत्येक हस्तग्रतने कागललनुं रेपर करी तेता उपर तेनुं नाम भने क्रमांक छखवामां जाव्यों छे. प्रत्येक पोथीना उपर , नीचे प्रमाणयुक्त पाटछी मूकीने तेने नवा वल्लना बंधनथी बांघीने तेना उपर पोथीनो नंबर ने तेमा रहेढा ग्रन्थोना, क्रमांक छुखवामां जाव्या छे. भा पोथीओने पण छोखेडना कबाटमां मूकवामां भावी छे. जे भायरामां भंडार छे ते भॉयरानी पण मरामत करवामां आवी छे. उपर जणाव्या प्रमाणे मंडारने संपूण सुरक्षित कर्या अगाड प्रत्येक ग्रन्थनां समग्र पार्नाने गणीने खूडतां पत्रोनी नॉघ छेवामां आावी छे. जा काम करती बखते सकड़ो वर्षधी दशनादि शान- मक्ति निमित्ते अवार-सवार पुस्तकों खोलवाने कारणे जने ते पाछा भंडारमां मूकती वखते चोकसाईना अभावे कृमभग सो भ्रन्थोनां पानां जलूग अकृग पड़ीने आपसमां भेल्सेछ थई गयां हतां, ते सब पानाने प्रत्येक ग्रन्थवार तारबीने तेमना मूत्ठप्रन्थनी साथे जोड़ीने अनेक अन्थ पूणे करवामां आब्या छे. भा फारये पूज्यपाद जागमप्रभाकाजी सिवाय अन्‍्यने माटे दुष्कर व नहीं किन्तु अराम्य ऊ 55 है >कतनजुन लक अप रह हर: की ही. जानी तारीशतीिक.. पका जया अपना वीफन्‍क-लतलताबल-ननाअलयता-+ ली अपार फाओन न > 4 ++जल++ >४५+--+०++ कं ७४०८ ज्््लत्लि 28%: ४8-72 ०७६८ | उंन्सिण्नकर का ८८ ८ 5 अल: उप,




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