श्रीमदभगवद्गीता | Shrimadbhagvadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
528
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरिकृष्णदास गोयन्दका - Harikrishnadas Goyndka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शांकरभाष्य अध्याय १ ११
बल के आल
या आय पाया ३० ३० ६७ध९५ ७३३०३. ४० ४३४२४४६० ७ ७ ६७५७/२ ५४३०७/५८७५ ७५ ७०७१६० ५४६१ ६४६३०६/४६०६५४७/६५७१६०५०४०५/५०६/०६/ ५०७५ ६-/ ७० ७/६/६१६/४ ७ ९५/६७०५५ ५० ६४ ५० ५/७० ६० ६७/५८/७६५०
हे जनादन ! जिनके कुलघर्म नष्ट हो चुके हैं. ऐसे मनुष्योंका निस्सन्देह नरकमें वास होता है
ऐसा हमने सुना है ॥ ४० ॥
अहो बत महत्पाप॑ करें व्यवसिता वबयम्।
यद्राज्यमुखलोमेन हन्ठुं खजनमसुयता। ॥ ४५॥
अहो ! शोक है कि, हमलोग बड़ा भारी पाप करनेका निश्चय कर बैठे हैं, जो कि इस राज्यसुखके
लोभसे अपने कुटुम्बका नाश करनेके लिये तैयार हो गये हैं ॥ ४५॥
यदि मामप्रतीकारमशर्त्र॑ शख्रपाणयः |
धातेराष्ट्र रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्॥ ४६॥
यदि मुझ शख्नररहित और सामना न करनेवालेको ये शखधारी धृतराष्ट्रपुत्न (दुर्योधन आदि) रणभूमि-
में मार डालें तो वह मेरे लिये बहुत ही अच्छा हो ॥ ४६॥
संजय उवाच---
एवमुक्त्वाजुनः संख्ये रथोपर्थ उपाबिशत्।
विसृज्य. सशरं चाप॑ शोकसंविश्चयमानसः ॥ ४७ ॥
संजय बोला-उस रणमूमिमें वह अर्जुन इस प्रकार कहकर बाणोंसहित धनुषको छोड़ शोकाकुछ
चित्त हो रथके ऊपर बैठ गया ( पहले सैन्य देखनेके लिये खड़ा हुआ था )॥ ४७॥
इति श्रीमह्ममारते शतसाहद्यां संहितायां वैयासिक्यां मीष्मपर्बंणि श्रीमद्भगवद्गीतासू:
पनिपत्सु अ्मविद्यायां योगशाल्रे श्रीकृष्णाजुनसंवादे5जुनविषाद-
योगो नाम प्रथमीडध्यायः ॥ १ ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...