श्रीधर्मकल्पद्रुम | Shridharmkalpdrum (vol - Iii)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shridharmkalpdrum (vol - Iii) by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २ ) बृद्दत्‌ प्न्थके सम्पूर्ण प्रकाशित होनेसे पूर्व यदि कोई महातुभाव श्रीर चिन्ताशील सजान भवियत्‌ खण्डॉमें प्रकाशित होनेवाले विपयोग न्यूवात्रिक करनेके लिये कोई शुभ प्रस्ताव करेंगे तो उसे सादर श्रहण किया जायगा। इस तृतीय खरडके प्रकाशित होते ही चतुर्थ खण्डका छुपना प्रारम्भ होगा | भ्रीमारतधम्मेमहाएडलके नियमातठुसार उसके शास्त्र प्रकाशक घिभागफी जिस्मेवारी और खर्चका भारी श्रीमहामएडलपर न रखकर भ्रौमहामएंडलफे सशथ्वालक पूज्यपादुञ्री १०८ श्रीस्वामीजी महाराजपर रफ़्खा गया हैं, उसी नियमके अनुसोर इस विभागका कार्य निर्वाहित होता है । श्रीमहामएडलक्े साधुगण अपने भक्तांसे धनकी सहायता लेकर ग्रन्थप्रकाशनक्ता कार्य चलाते हैं और अन्य विक्रयकी आमदनीका सब घन भ्रोविश्वनाथ श्रन्नपूर्णा दान भराडार द्वारा दीन, दरिद्र, अनाथ, विधवा ओर निराश्रय व्यक्तियोंकी सहाय- तार्थ श्रीमहामणडल कार्यालयमें व्यय होता है अतः इस पब्रन्थका स्वत््वा- धिकार उक्त दानभण्डारको ही दिया गया है। ० ««.... इस तृतीय खण्डकी छपाईका रुपया भ्रौमान्‌ महाराजा यहाहुर बलराम पुर .नरेशकी भ्रीमतों बड़ी रूदझ्ायानी साहवा ने दान किया है। श्रीमती फी यह उदोरता और साजिक दान अन्य नरपति और राजमहिलाओंके इजुकरण करने योग्य है । क्षीविश्वनाथ भ्रीमतीजीकी नौरोग,दीघांयु ओर सौसाग्यशालिनी करे | ह , निवेद्क--+ सक्रेररी --शासत्र प्रकाशक विभाग श्रीभारतधर्म महामणड, जगत्‌गेज व नारस । द्वितीयाबृत्तिका विज्ञापन । इस ट्वितोयाव्ृत्तिकी छुपाईका रुपया श्रीविश्वनाथ , अष्नपूर्णा दान भंडारसे ही खर्च किया गया है ओर ःछोकौका टाइप कुछ छोटा होनेसे पथमावृत्ति' की अपेक्त पृष्ठ संख्याइसमें कम होगई है सो पाठक गणके विद्ताय लिखा गया। सिवेद्क क्रेटरी-शास्तर पंकाशक विभाग क्षीभारतधर्म भहामएडल, जगतगंज बनारस ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now