बन्दी जीवन भाग - 3 | Bandi Jivan Bhag - 3

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Book Image : बन्दी जीवन भाग - 3  - Bandi Jivan Bhag - 3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(55 ) इस घस्दर्भ मे स्पवितमत बरित्र की प्रापो बता होने पर भी वह स्पश्यिंगत हूप में मे को जाएगी। स्परित से परिणय हुए गिता समध्टि से परिचय गहीं हो सडता। इसमिए तो स्यस्विमत चरिड की स्‍ध्रासोभषता स्‍प्रावप्मक हो जाती है । यह परिचय देस में मेरे सपने घौर घपने एस के बहुतेरे छिद्र प्रबट हो जाएंगे। तो इस सिए जया मैं उन दुबसताप्रों प्रोर सक्ीघ्रताप्तों को छिपाने की स्पर्य बैप्टा कहे जिहोंने गि हम मीतर हो मीतर पपु बना दिया है ? ऐसी बैष्टा स्पय धो होगी ही मर्योडि एक-न-ए दिस धष्य प्रश्ट होगा प्रौर जरूर होगा भोर साथ ही छिपाने का इधोम करने से न धिफ सरय शा प्रपसाप ही होगा प्रपितु उससे हमारा पगुत्त --निश्म्मापत-भी प्रौर प्रमिक बड़ बाएगा। इतिद्वास के पृष्छों म॑ धत्यम्‌ बूपादु प्रिपम्‌ ध्ूूयात्‌ सा इूयात्‌ सत्यमप्रियस सार्बक सहीं।




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