कहानी - कला की आधार शिलाएँ | Kahani - Kala Ki Aadhar Shilaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कहानी का स्वरूप [ *६
शब्दों ये “कहानी जीवन के संड यथा अंश सात्र को प्रस्तुत करती है, उपस्यास
झीवस दी सम्रमदा को | कद्दानी रहलता दृदता हुआ बन््य निमेर ह, उपन्यास
गंभीर कूलहीन समुठ | फह्दानी एक ही दिन में मुरमय जासेबाली लिखी की कमी
है; इप्यास विशाल युगों युगों तक स्वस्थ मौन, सना श्यड्ठा देगवारु । कद्दानी
सैपक जैसे हुत रैसयाधित्र या 'स्नैप! माप्र लैता दे, उपस्पास हृदद मि्चयित्र फ्रेस्चे)
के समान हे | कशानीफार भीद्ट को भपनी छोटी सी स्िड्रकों में से या साय क
पक ढीते में देश क्ैना पर्याप्स सममझा दे, ठपस्यास-सैसफ पफ ऊँची मीनार पर
चढ़कर मे झास पास फा विसतत भू प्रैश ईैसपता है ।7* हा द॒जा रीप्रम्धद ड्िियैदी
का भी यही मद है कि उपन्यास पक शाला प्रशाय। बाबा विशाल वृष हे, सप कि
छोटी कहानी एफ सुरुमार लाए और ग्रैरीपेन मे भी उचित ही कहा हे वि
“इपन्यास पदना मरपैर भोजन से पूण संतोष पाना ई, कद्दानी झा मेवल घुभुत्ता
लटकाना या उपसाना मात्र / पण्णात्य विधारएों मै ता बड़ानी करो जीवन फे पैदल
एड भाग (887&०) ही मंडी (91593701) मात्र मानकर उरद्दित ही पियाई
कर्क इपयास यदि औीयन का दूए (रत है तो कहानी उसके एक अंग की मलफझ
मात्र ६ लेकिन यइ मेक स्वत अपने शाप में सबधा पूर्ण शोषी दे। स्मरण रह
एदानी समरत औरत के फिसी एक डिशिप्ट अंग था इसिम्दु ढो ही ममए़ प्रस्तुत
करती थे रिन््सू उपस्थास में एप्टी फी अधिकता रहती है; पथनाभों परित्यितियों पा
दशा, बगल धर धातावरण का धस्पस्त विशद प्रिदेषत भी डाठा दे । इतना ही नही
नपम्पास में तो ६ई ऋारप॑ण पेन्द्र ऐोते दें आर उसमें पाठफों को श्रापप्ित बरन
वाशी झनेदयनेरः परिस्पितियों को संयोधना की जाती हे परन्तु १द्दानी में केवस एक
ही भाषपए केस दाता ई, कयोरि ऋुदानी का पात्र बितेष सीमिस शरों के लिए
ही एमारे सामने झाता हू तथा पाठरों कथा ्पनी झोर धापप्ट कर मप्र-्मुग्य सा
ढर पता ६। यद भी सत्य ह फि पानी फे पांत्र प्र पाठक हे धदय पर पिप
प्रभाव पहदा ई लफिन शुष्द बिश्यरकों गए मत एं हि भौपम्पाम्कि पार्णो बा पाटर
हो मानसल्पक्ती एए भपिक दृदयप्रादी ममाद पढ़ता दे (२
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