मौक्तिक माल | Moktik Maal

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Moktik Maal by कुमारी दिनेशनन्दनी चोरड्या - Kumari Dineshnandani Chordya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शाहजहोने अपनी प्रियतमा मुमताजको चिंरस्मरणीय बनानेके लिये ताजका निर्माण किया, ग्रेमके इतिहासमें अमर होनेके लिये छेछा-मजन्‌ एक हो, गये, शाहजादी जीररीका प्रणय-पात्र बननेके लिये फरहाद मर मिटा, प्रेमको भाक्ति। अचल रूप देनेके लिये राजरानी मौरा दर-दरकी दिव्य भिखारिन बनी, दीयाना मन्सूर प्रेमी बननेके लिये, अनछहकका राग अलाप, हँसते-गाते शूल्लपर चढ़ गया, पुराने अफसानोंकोी नया करनेके लिये मैंने तुमसे प्यार किया, और, उल्फतके अगारेपर आईं हुईं राखको मैंने अपने ग्रणयकी फूँकसे उड़ाकर उसे फिरसे जगमंगा दिया ! न पर्द्रह्‌




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