अछूत एक सामाजिक नाटक | Achhut Ek Samajik Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दृश्य हे शअचछ्च
सकते हैं ? मन्दिर भी अशुद्ध हो जायगा, ठाकुर जी भी
अशुद्ध द्वो जायेंगे ।
अछूत-पुजारी, तोहरे याव परित है हमका भीतर
ज्ञाय देव । ठाकुर जी तो परम पवित्र शरह, ऊ कैसे अशुद्ध
दोइ जैदे । महराज तोहार बुद्धी मग्यी गै है फा ? ठाकुर जी
जब राम रहेन तबकी वात याद फरो, शहद निषाद का छाती
से लगाइन, शवरी के जुठ वैर प्राइन रहा । तब नाही
भये रहेन अशुद्ध, अ्रव अशुद्ध दोइ जैहे । महरोज, ईशुर
आगगिड से गये बीते श्रद्दे । अआर्गिड तो पवित्र मानी ज्ञात
है ।ओहमा चाहे जौन पर्डि जाय सब पवित्र, तो का ईशुर
हमरे छुये से अशुद्ध द्वोइ दे ? कैसी चात करत ही महराज २
पुजारी--अबे भागता है यद्दा से कि चदस करता है २
छुझूको मैं भीतर नहीं जाने दूगा 1
अछूत-जो मैं पूजा न करिहदी, तो मोर गदेलवा फिर
बिमार पड़ि जाई | मोका पुजा कर लेय देव ।
[गाता है ]
मोरे हैं. भगवान,
तोरे. हैं भगवान,
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