सोहन काव्य - कथा मंजरी भाग - 6 | Sohan Kavya Katha Manjari Bhag - 6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऐसा कौन है बली जगत में श्राप नाम फरमाय-नाथ जी-
मेरी नजर में कभी न आ्राया देखने को चित्त चाय ॥ काल०॥ ११॥
काल स्वामी का दूत श्वेतकच', दे रहा यों आवाज-राणी जी-
चेत चेत ओ चेत चतुर नर सूधर जायगा काज ॥| काल०॥ ११॥
स्वामी श्राये बाद तुम्हारा, नहीं तन पर अधिकार-राणी जी-
धरा, धाम, धन सभी छीन ले नंगा काढ़े बार ॥। काल०॥ १२॥
श्रत: दात कर ईश भजन की, पूंजी ले लो लार-राणी जी-
जहां जावेंगे यही सम्पति सुख देगी हर बार ॥ काल०॥। १३॥
सुतकर समझ गई महाराणी, काल शरत्र् बलवान-सज्जनों-
सत्य. नाथ फरमान आपका सदा भजें भगवान ।॥ काल०॥ १४॥
धप्राज्ञ' प्रसादे 'सोहन' मुनि कहे, सदा रहो हुशियार-सज्जनों-
आलस तज कर कम काट. लो काल जायगा हार॥ काल०॥ १५॥।
दो हजार इकतीस जेठ बुद, दशमी है गुरुवार-सज्जनों-
अजमेर शहर में जोड़ बनाकर कर लीनी तैयार ॥ काल०॥ १६ ॥।
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१. सफेद केश
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