परदे के उस पार | Parade Ke Us Paar

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Parade Ke Us Paar by आचार्य श्री नानेश - Acharya Shri Nanesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ बनाइये । जब विचारों में समभाव आएगा, तब उच्चारण और आचरण में भी समभाव पनपेगा । समभाव का विकास ही सच्चा आत्मविकास होगा । समीक्षण सहायक साम।यिक समता की साधता के लिए सामायिक एक महत्वपूर्ण अंग है । सामायिक की साधना आनन्त-फानन में आने वाले खिलौने की तरह नहीं है बल्कि एक महत्त्वपूर्ण साधवा है । इसको खयाल में रखिये। आप भाई-बहिलन यह चिन्तन कर लें कि ४८५ मिनट के लिये मुंहपत्ति और बेठका लगाकर सावद्य योगों का त्याग कर लेंगे, माला फेर लेंगे, भक्तामर का पाठ कर लेंगे, इतने में ४८५ मिनिट पूरे हो गये और सामायिक हो गई | उठकर चले गए, लेकिच यह चिन्तन नहीं किया कि ४८ मिनिट के लिये संसार का त्याग किया, दो करण, तीन योग से १८ पापों का त्याग किया, राग-हेष आने के कारणों को हटा दिया । यह तो जुलाब लेकर कोठरी में प्रवेश करके मल का विसर्जन करना हुआ। भक्तामर का नाम लेना अच्छा है लेकिन खयाल . करिये कि भक्तामर के इलोकों का अर्थ जिसने जाना है उन्तके ध्यान में यह आ . जायगा कि ऐसे भगवान्‌ हो गये, यह बात भापके मस्तिष्क में आ जायगी। माला फेरेंगे तो माला के मणके हाथ से चलाते रहेंगे, जिन्ना चलती रहेगी, मन भी चलताः रहेगा । उसके इंजीनियर ने बटन दवा दिया तो वह घूम रहा है। जत्रान चलने लगी, नतवकार मंत्र का उच्चारण शुद्ध है या अशुद्ध है ? मत चारों तरफ घृम॒ रहा है । इस समय भी वह समीक्षण का कार्य नहीं कर रहा है। कदाचित्‌ अच्छी धामिक पुस्तक आपके पास आ गई तो पढ़ने लगे। आपका मन उसमें लग गया, श्रुत ज्ञान की उपलब्धि हो रही है। नये-तये विषय आ रहे हैं किन्तु तात्विक विपय समझ में नहीं आयेगा । परन्तु रुचि हो गई तो आपका मन्त उसमें लग जायगा। मन लगना ठीक है, लेकिन कब लगाना ? जिस उद्देश्य से एकान्त कमरे में गये हैं, पहले वह काम क्रता या यह काम करना ? मैं इसको और स्पष्ट कर दूँ। एक व्यक्ति ने पेट का मल साफ करने के लिये मल त्याग कर घर में प्रवेश कर लिया। दस्त देर से लगती है, वहां बेठा-बेठा पुस्तक पढ़ रहा है । ध्यान करिये मनोविज्ञान की दृष्टि से---कि मन पुस्तक में लग जाता है, तो दस्त का ध्यान नहीं रहता हैं। दस्त की तरफ ध्यान देते हैं तो मल बरबस चला आता है।




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