हिन्दी - शेक्सपियर भाग - 4 | Hindi - Sheksapiyar Bhag - 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
562
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हैस्लिट । हू
शाप के म॒प से वे हवंसचक चिह्द नहीं पाये जाते।
इसलिए म॒स्हे आप पर विश्वास नही है । परन्तु इससे
आप को मेरी प्रीति में सन्देह नटीं करता चाहिए। पर्योकि
स्रियों को धेम ओर सन्देह यरायर होते है सितना उन-
का ध्रेम होता हे उतना ही थे शह्ठा फ्रिया करती हें
जब भेम अधिक होता हे तब थीटी सी बात पर शद्वा हो
ज्ञाती हे ।
नाठकी राजा--अवब में थोड़े दिनो में तुमछो छोटने याला हैं ।
प्यारी, मेरी शारीरिक शक्ति श्रय दिन प्रति दिया घटती
जाती है श्रीर मेरा झ्न्त निकट थ्रा पहुंचा है | तुम हमारे
पोछ़े प्रेम और मोश्व के खाथ रहना (शायद ठुमफो मुझ
से भी अधिक प्रिय पति की प्राप्ति हो जाय।
नादक्नी रानी--ऐसा मत फट्दो, ऐसा मत फदी । नद्दी तो यह पेम
नदी किन्तु पाप दे | दूलय पति बसा डचित नदीं।
वही दूसरा पति करती ह जिन्होंने अपने पहले पति को
मार डाला हे ।
इसऊी सुन कर हैल्चिट की माता और उसके पति ठोनों
के मुख पर उदासा छा गई।
नाटजी रानी-जो खियोँ दूसरा निबाह करती है दे थेम के
कारण नहीं करती | यदि मेरा दूसरा पि से तो सम-
अना चाहिप्ट कि मेंदे अपने पहले पति को मार डाला।
साटकी राजा--में समझा हैं कि तुम अपने वत्तमान विचारों
के अजुकूस कर रही हो। परन्तु बहुघा इन विचारों के
विरूओं दी जाता है. 7 शी इच्छा हमारी स्थति के
कि,
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