राजनीति - विज्ञान | Rajaneeti - Vigyan

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Rajaneeti - Vigyan by सुखसम्पन्ति राय भण्डारी - Sukhasampanti Rai Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राज्य कया है ! श्द्द मनुष्य-जातिके बाल्यकालमें ईश्वरीय सत्ता और प्रकृतिकी रहस्यमय शक्तियोंपर निभेर रहनेकी अत्यधिक प्रवृसि थी। यहातक छोगोोंका विश्वास था कि अमुर अम्ुफ मनुष्यके द्वारा ईश्वर अपना सदेशा भेजता है। अमुऊझ अपुक मनुप्य ईश्वरफ़े दूत हैं । इसी प्रकार श्राचीन फालफे छोग राज्यसत्ताकों ईश्वरीय सत्ता मानते थे और राजाको ईश्वरका प्रतिनिधि समझते थे 1 हमारे हिन्दू शास्त्रोमिं सी राज़ाफो विष्णुका अवतार फहदा है । रज्य क्या है ? छमने पिछले अध्यायमें दिखाया है कि राज्यकी उत्पत्ति केसे हुई। हमने दिष्वलाया है कि इस सस्वन्धमें द्विन्दू आचार्यों - के तथा पाश्चात्य विद्वानोंके क्या मत हैं। दोनोंके विचार कद्दा- तक मिलते हैं और कट्दा ज्ञाकर दोनोंमें अन्तर द्व्टिगत होता है | इसये साथद्दी साथ हमने यह भी दिखललाया है. कि राजनीतिशास्र क्‍या है और उसका अन्य शा््रोके साथ क्या सम्बन्ध है। इस अध्यायमें हम यद्द दिखलाना चाददते है! कि राज्य क्‍या है, राज्यके सम्बन्धर्म मिन्न २ आचार्योने फिस प्रफार भिन्न मिन्न व्याय्याए की हैं | सुप्रसिद्ध जर्मन छेखक शुद्स ( 50॥726 ) का कथन है कि राज्यकी व्याप्याए' इतनी अधिक हैं कि उनकी गणना करना कठिन है। प्रत्येक लेक्षक अपने अपने विचारानुसार राज्यकी व्याय्या फरता है। राजनीतिके छुविज्यात अग्रेज आचार्य्य




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