दाहर अथवा सिन्ध - पतन | Dahar Athava Sindh - Patan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पदला अंक रू
उपाफर--मरद्दाराज, सत्य ये! यस्तुत सब लोगों फो
भसधर फिया ही नहीं जा सकता और उस समय तो और
भा, जब छोटे छांदे राजाओं फा राज्य हो 1 मद्दाराज,
सुना दे येन का सामन््त मोक्षयासव भीतर दी भीतर मदा
राज से द्वेष रपता दै !
! दाइर-क्यों, मोत्षयासव दम से द्वेप फ्यो रखता है !
चपाफर--नाथ, में फेल इतना दी जानता हैँ कि समान
विभूति के लोग डाद फे यश में दोकर झपवी हीनता को
आत्मद्प के दर्पण में देखते दी ब्याइुल दो उठते दे । यदी
कुछ फारण दोगा और फ्या आपक्षी दया का अलुचित
लाभ उठाकर उसये कौरवों का अनुकरण किया दै !
दाहर--इसफा फ्या कारण दो सकता है ?
चृपाकर--झापका बैमव, उसके ऊपर आपकी एपा और
सेठ ।
दाइर--फुछ और भी ?
है अं... 128 5. धर अल हि...
क्षपाकर--नाथ, दूतों से खुना दे कि घद्द बेन राज्य को
स्वतन्त्र करना चाद्दता दे 1
दादर--द्मने पिछले घर अतिबुष्टि के कारण उससे कर
भी तो नहीं लिया था ?
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