दाहर अथवा सिन्ध - पतन | Dahar Athava Sindh - Patan

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Dahar Athava Sindh - Patan by उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पदला अंक रू उपाफर--मरद्दाराज, सत्य ये! यस्तुत सब लोगों फो भसधर फिया ही नहीं जा सकता और उस समय तो और भा, जब छोटे छांदे राजाओं फा राज्य हो 1 मद्दाराज, सुना दे येन का सामन्‍्त मोक्षयासव भीतर दी भीतर मदा राज से द्वेष रपता दै ! ! दाइर-क्यों, मोत्षयासव दम से द्वेप फ्यो रखता है ! चपाफर--नाथ, में फेल इतना दी जानता हैँ कि समान विभूति के लोग डाद फे यश में दोकर झपवी हीनता को आत्मद्प के दर्पण में देखते दी ब्याइुल दो उठते दे । यदी कुछ फारण दोगा और फ्या आपक्षी दया का अलुचित लाभ उठाकर उसये कौरवों का अनुकरण किया दै ! दाहर--इसफा फ्या कारण दो सकता है ? चृपाकर--झापका बैमव, उसके ऊपर आपकी एपा और सेठ । दाइर--फुछ और भी ? है अं... 128 5. धर अल हि... क्षपाकर--नाथ, दूतों से खुना दे कि घद्द बेन राज्य को स्वतन्त्र करना चाद्दता दे 1 दादर--द्मने पिछले घर अतिबुष्टि के कारण उससे कर भी तो नहीं लिया था ?




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