ह्रदय - ध्वनि | Hraday - Dhvani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hraday - Dhvani by सद्गुरूशरण अवस्थी - Sadgurusharan Avasthi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सद्गुरुशरण अवस्थी - Sadguru Sharan Awasthi

Add Infomation AboutSadguru Sharan Awasthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( # ) जीवन के व्यवहार-पत्च को हमेशा जीवन पर पड़नेवाले अपने प्रभाव के प्रकाश में स्वरूप-निरूपण करना होगा | सत्य की जब्र यह्‌ दशा है. तो जितने काल तक कोई तक! या कोई विवेक' सफल रह सके, उसे युगधर्म के अनुकूल समझकर उसी के प्रकाश में हमें अपना स्त्ररूप- निर्माण ओर फिर स्वरूप-दुशेन करना चाहिए । इस ग्रेरणा से जो हाँ” निकलेगा, वह हमारे विचार से ओर सत्यों की भाँति सच्चा ही होगा । हाँ? सत्य का नियमित रूप है। परंतु सत्य का अनु- संधान जितना ही कष्टसाध्य है, हाँ? का असली स्वरूप- प्रहण भी उतना ही कठिन है । यह विचार भ्रामक है कि सत्य बोलना अत्यंत सरल ओर क्ूठ वोलना कठिन है। वास्तव में सत्य बोलने के पूवे सयशोधन करना पड़ता है। सत्य ऊपर-ऊपर ही नहीं रहता | वह न-जाने कितनी तहों में लिपटा रहता है । वह बहुधा इंद्रियों की सूक्ष्म से सूक्ष्म परख से परे रहता है। साधारणतया भी यदि कोई पूछे कि अमुक रेखा कितनी बड़ी है तो यह नितांत निम्वय समझना चाहिए कि एकऋ-आध बाल भर की नाप का अंतर उत्तर को असल अवश्य कर देगा। जब स्थूल बातों का यह हाल है तो सूच्यम ओर अबच्छन्न, अमूतते




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now