ह्रदय - ध्वनि | Hraday - Dhvani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जीवन के व्यवहार-पत्च को हमेशा जीवन पर पड़नेवाले
अपने प्रभाव के प्रकाश में स्वरूप-निरूपण करना होगा |
सत्य की जब्र यह् दशा है. तो जितने काल तक कोई
तक! या कोई विवेक' सफल रह सके, उसे युगधर्म के
अनुकूल समझकर उसी के प्रकाश में हमें अपना स्त्ररूप-
निर्माण ओर फिर स्वरूप-दुशेन करना चाहिए । इस ग्रेरणा
से जो हाँ” निकलेगा, वह हमारे विचार से ओर सत्यों की
भाँति सच्चा ही होगा ।
हाँ? सत्य का नियमित रूप है। परंतु सत्य का अनु-
संधान जितना ही कष्टसाध्य है, हाँ? का असली स्वरूप-
प्रहण भी उतना ही कठिन है । यह विचार भ्रामक है कि
सत्य बोलना अत्यंत सरल ओर क्ूठ वोलना कठिन है।
वास्तव में सत्य बोलने के पूवे सयशोधन करना पड़ता है।
सत्य ऊपर-ऊपर ही नहीं रहता | वह न-जाने कितनी तहों
में लिपटा रहता है । वह बहुधा इंद्रियों की सूक्ष्म से
सूक्ष्म परख से परे रहता है। साधारणतया भी यदि कोई
पूछे कि अमुक रेखा कितनी बड़ी है तो यह नितांत
निम्वय समझना चाहिए कि एकऋ-आध बाल भर की नाप
का अंतर उत्तर को असल अवश्य कर देगा। जब स्थूल
बातों का यह हाल है तो सूच्यम ओर अबच्छन्न, अमूतते
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