शिक्षा आयोग का प्रतिवेदन | Shiksha Ayog Ka Prativedan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : शिक्षा आयोग का प्रतिवेदन  - Shiksha Ayog Ka Prativedan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जे॰ पी॰ नायक - J. P. Nayak

Add Infomation AboutJ. P. Nayak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
छ मे इखि सतब लिए बाध्य हा जायेंगे ।॥ इस प्रवार शीघ्र सुधार सम्मद हा सकगा 1 11... शिला बी जनविद्यादय प्रखाली वा एवं महत्वपूरा भद्ट यह मी है दि सरवारी सहायता प्रोप्त समस्त शिसण सस्याप्रा ( जितम स्वतंत्र या अमायता प्राप्य विद्यादया वे अतिरिक्त सभी विशणा हस्थाएँ सम्मितित हैं) चार उनता प्रवध दिसा मी प्रसार का क्यो न ही, शिला म एमा बुद्ध निश्चित समान वि पताएँ हा जो “यूनतम स्तर वा बनाय॑ रख सर्वे । श्से समय #प प्रकार वी दोई व्यवस्था नहीं है प्रवाध वे झ्राघार पर शि्रण सम्याप्रा मे क्त्र' प्रवार वी वे व्यवस्था प्रचतचित है। राजगीम शिक्षण मस्थाप्रा में सम्भवत भध्यापका व लिए सर्वोत्तम सवा सम्बधी झर्नें प्रात हैं । दुजनात्मत हृष्टिगीग से दर्णपें सो हनेदा भ्राविय साधन भी उतारतापुदद उपलब्ध हैं, लजिन सवा वी प्रयथ्िर सुरक्षा सवा स्थाना तरण (जिसे बार बे सम्या वे प्रति नह श्रेणी व घति निश्ठावान रहते हैं) समुटाय से जीवस्त सम्बाया के प्रभाव तथा स्वतन्नता पर कड़े प्रतिवधा वे वारण ये लाभ एवं प्ररार से दपय सिद्ध हा रट हैं । स्थानोय स्वायत्त तिक्षण सस्याप्री म थे सब बद्धि नाइगां ता हैं ही इनब प्रविरिक स्वानोय राजनीति वा बार प्रध्यापपा को पिलनआजा सवा सुविधाएँ भो प्रभवापजनर हाती हैं । भ्च्छ निभा विदयानम याग्य एवं निद्ठावान प्क्‍स्यापत्ा का भाकपिंत कर सतत हैं. समान प्रयवा समर दाए श धनिष्ठ रम्यध घनाय रख मरत हैं तथा य भ्पनी स्वतंत्रता भी बनाय रस सरेत हैं । सरिन उतरा प्रायित्त झाधार तिबत हाताो है. जा राजकाप विधाजया मे नहां होता 1 एस भ्रधितराश विद्यालया म दा प्रतार का भा यठिवाटियों भी हाती हैं->अध्यापदा वे लिए भ्पप्रा्त सवान्सम्ब'्धी श्े तथा मिला से प्रघवद्ध प्रवधर । इन झ्वउत झसमानताशा रा दूर गरत की आवरप बता है । प्रदधर चाह बसे हा हो, इस समस्त सत्याध्रा मं जुछ समान विशपताएं निधि मरने थी बाउश्याता है>्दया अध्यापरा व समान स्तर समान पोस भ्वश सम्बंधधा समान सोती जिमस बंग बइ समाप्त हा भौर याग्यता 4 प्राघार दर सन्नी शारोय सस्वामा म अर्श की खुदिया झा स्वादाय समचप्र से सम्पर सवान विधियों घपनान तथा प्रयाग रन की स्वततनता।.... 12. प्नतर्राज्यीय सदुभाव विशा का बेन प्रयच हुला चाटिए हि दत भारत रे विभिप्न भागा म एव दूसरे गे विषय मे प्थित जातारा भ्पित सदभात भौर प्रधित सौचर पूण बातावर् का निमझ्ाप हा मच उगशा दिखार हो गर। बन बाय




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now