जैन लेख संग्रह | Jain Lekh Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ु [ 5 ]
१। वर्ष, सास, सिथि, कार आदि । ३ । वंश, गोन्न, क॒लो के नाम ।
३ । कशिनांसा। ४ । गच्छ, शाखा, गण आदिके नाम |
५ । आचारय्योक नाम, शिष्यो के नाम, पहावली ।
६ । देश, नगर, ग्रामो के नाम । ७ ॥। कारिगरो के,खोदनेवालोी के नाम ।
८ । राजाओं के, मंत्रियों के नाम । «८ । समसामयिक कृत्तान्त इत्यादि ।
ऊपरोक्त विवरणो में ज्ेन श्रावकोंकी ज्ञाति, वंश, गोत्रादि और जेन आचांयोक्ते गच्छ शासादिकी दो खूनी
पाठकोंकी सेवा उपस्थित की जायगी, जिसमे खुगमता के लिये (१)जाति, चंश, गीत (२) संबत,
आचार्योके नाम और गच्छ रहेगा। खुश पाठकगणकरो ज्ञात होगा कि बहुतसे लेसोमे बंश, गोंत्रादिका
उल्लेख पू्णरीतिप्ते पाया नहीं जाता हैः--जेसे कि कोई २ लेखमें केबऊ मीज्र ही लिखा है, जाति, घशका नाम
या पता नहीं हे। ज्ञाति वंशादिके नाम श्री कई प्रकारसे लिणे हुए मिलते हैं, जेसे कि “भोखवाल
शातिके नाम लेखोमें आठ प्रकार से लिखे हुए मिलते हैं [ १ ] उपक्रेश [२] डकेश [ ३] उवणए्श [४] ऊर्श
[५ | उयसवाल [ ६ ] ओसकूवाल [ 9] ओश [ ८ ] भोसवाल। लिखना निष्प्रयो जन हे क्रि यहां सूचीमें ऐसे
आठ प्रकारके नामोंकों एक “ओसचाल' हेडिक्ल में दिया गया है। इसी प्रकार कोई २ लेखोंमे आयायों के नाम, उनके
बी नाम्त, गज़्छादि का विवरण पूर्णतया नहीं है। प्रतिष्ठास्थानोंके नाम भी बहुतसे लेखोंमे विलकुल
नहीं है ।
पुरातत्वप्रेमी सज्लगगण अच्छी तरह जानते हैं कि प्राचीन विषय में ऐसो बहुतसी कठिनाइयां ,
मिलती हैं, स्थान २ में प्राचीन लेख घिस गये हैं, इस कारण वहुत सी जगह प्रथल करने पर भी खुलासा
पढ़ा नही गया है । ”
यह “लेख संग्रह” संग्रह करनेमे हमें कहां तक परिश्रम और व्यय उठाना पड़ा है सों खुश पाठक समझ
सक्त हैं; “नहि चन्ध्या चिजञानाति गर्भप्रसच वेदनाम् ।” अधिक लिखना व्यर्थ है। यह संग्रह किसी सी विपयमे
उपयोगी हुआ तो में अपना समस्त परिश्रम सफल समझंगा। |
आशा है कि भोर २ आचार्य, मुनि, विद्वान् और 'सज्नन लोग भी जेन लेख संग्रह करनेमें सहांयता पहु'चार्वे
आर उनके पास के, या जिस स्थानमें वे विराजते हों बहांके जेन रेखों को प्रकाशित करें तो वहत राम छोगा ओर
शीघ्र ही एक अत्युत्तम संग्रह चन जायगा। किंय हुना ।
काना ऋ>पम, लम्बा,
-कह#ा>>रफडर,
निवेद्क--
कलकत्ता |
पूरणचन्द नाहर ।
8० स० १९१४)
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