वेदान्त रामायण भाषा टीका सहित | Vedant Ramayan Bhashatika Sahit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
215
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषाटीकासहित । २१
भाषा-खर दूभण जिशैरा इन्होंकूं शूपणखा क्या वचन कहती भई राक्षस-
लोग बहुत जलदी रामजीसे युद्ध करेको आये सो क्या है, सेनासहित राम-
जीने सब राक्षसोंका नाश किया सो क्या है ॥ १८ ॥
भयादां जानकी प्राप्ता सा गुहा का मुनी चर ।
सहोदर्यों सभां गत्वा रावणस्य च सन्निधो ॥
यच्चोक्ते वचन किन्तबछला राक्षसोत्तमः ॥ १९ ॥
भाषा-हे सुनिजी | भयसे रामजीने जानकीकों सुहामें भेजी सो स॒हा क्या
है, रावणक्री बहिनीने रावणकी स्ञामें जाय रावणके सामने खडी होके जो
वचन बोली सो क्या है, तिस वचनकूं सुनके राक्षसेंमें उत्तम जो रावण है ॥३९॥
कः कामो मोहितो येन मारीचान्तिकमाययों ॥
कः संवादो द्रयोस्तत्र को मृगो यस्य रूपघृकू ॥ २० ॥
भाषा-तुरंत काप्से मोहित हुवा सो काम क्या है मारीचके सामने रावण
गया सो मारीच रावणसंत्राद क्या है, ओर मारीचने मृगकों रूप धारण किग्रा
सो मृग क्या है ॥ २० ॥
कि विचित्रम्तृगतनों चंचल का गतिमुने ॥
को मोहो रामचन्द्रस्य वेदेहीलोभनं च किम् ॥ २१ ॥
भाषा-हे र॒ुनतिजी ! मृगके शरीरपर चित्रविचित्र क्या रहा, मृगका बहुत
भागना क्या है मृगको देखके रामजी मोहित भरे सो मोह कोन है ओर
जानकीको लोम हुवा सो क्या है ॥ २१ ॥
निवारणं च सोमित्रेः रामचन्द्रस्य किम्मुने ॥
हतो रामेण तेनोक्त कि लक्ष्मण इतीरितम ॥ २२ ॥
भाषा-रामचंद्रको लक्ष्मणने मना किया मत जावो ये मृग नहीं राक्षस है सो
क्या है, रामजीने मारीचको मान्या सो जमीनर्में पड़ते बखत मारीचने हा
लक्ष्मण ! ऐसा बोला सो क्या है ॥ २२ ॥
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