देशी शब्दकोश | Deshi Shabdakosh

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Deshi Shabdakosh by आचार्य तुलसी - Acharya Tulsi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“सआयाम्-आसयसे न छुह पेच्छिप जाय-आउर-आलीला । आलत्यपिच्छच्छत्ते छडिडय रिउणों अगाउसा जति ॥ १।५३६५॥ इसमे शत्रुणो की पराजय का सुदर चित्रण करते हुए कहा गया है कि हे राजन ! तुम्हारी शक्तिशाली सेना को निकट आयी जानकर युद्ध के विकटवर्ती भय से भयभीत तुम्हारे शत्रु मयूरपिच्छीनिष्पत छश्नों को छोडकर बिना दाढी-मूछ वाले मद बनकर युद्धनक्षेत्र से पत्रायन कर रहे हैं। इस वण्य प्रसग के आधार पर यह स्पष्ट है कि यहा “आउस' का जय कूची नही, दाढी मूछ ही होना चाहिए 1 इसी प्रकार जाहुदुर! (१।६६) शब्द का अथ हमचद्र ने वाल क्या है। रामानुजस्वामी ने 'बाल” का अथ पूछ (1३) क्या है, जो ठीक नही है। निम्न उदाहरण गाथा के सतटम में इसका “बालक जथ उचित प्रतीत होता है--- आमोरय ! सिरिआसग तए आहुदुरा करि हरीण 1 मित्त-्आसवण-अमित्तआालयण-दुवारेसु सघडिया ७१४४४ ६६।॥ हे विशेषत्त | लक्ष्मी के वासगह ! तुमने मित्रों के गहद्वारों पर हाथी के बच्चो का तथा शत्रुआ के गहद्वारा पर बदर के बच्चों का सघटन| निमाण क्या है ।! डॉ भयाणी का देशी शब्टों पर क्या गया अनुसंधान अत्यत्त महत्व« पूण है। दहोंने देशीनाममाला के शब्द-अनुक्रम म॑ रामानुजस्वामी द्वारा दिये गए इग्विस अर्थों की समालोचना करते हुए १७५ शब्टों वी नोध प्रस्तुत कर उनके द्वारा छृत अर्थों को भ्रामर और अनभिप्रेत बताया है। इन्होंने इन शज्ठा का अथ जा हेमचद्र को अभिप्रेत था उसवा निर्देश भी किया है | उनमे से उुछेक शद सही-गलत अर्थों के साथ इस प्रकार हैं '-- मूल शद सही अय रामानुजक्त गलत अथ अच्छिविअक्छी परस्पर आक्पण, आपसी खाचतान चैएप बराश्टाणा अजराउर उष्ण पद आमलय नूपुर गह नूपुर रखन की पेटी एा८5भाह 10णा1 आरदर १ अनेयान्त, जनसकुल ०1 ४1076 २ सक्‍ठ, सकीण 21३8 1 8 आलीवण प्रदीपनक, प्रदीप्त अग्नि पाण्गराशव्ाएह् इृदडठलभ इु-द्रात्यान इद्रध्वज का हटाना #एछवी,९७118 11078 इरमदिर क्रम 5 9०0४5 लैच्छ1९०१ उमहारी नोम्घ्री, दूध दुतने बाली स्त्री मै गौरी ००७ ह स्टडीज इन हेमचड्ाज देशोनाममाला, प्‌ ५७-८२ ॥




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