साधना | Sadhana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कृपालु क्ंधार
है मेरे नाविऊ, यह कैसी बात है कि जब मेरी नाव मेंम-
घार में थी तब ते तुम्हें हटा कर मैंने डॉड ले लिये घे पौर
सगवे तुम्हारे आसन पर आसीन होकर बडा भारी सिवैया बन
बैठा था | पर जन वह्द धार से पार द्वोकर गम्भीर जल में पहुँची
तब मैं हार कर उसे तुम्हारे भरोसे छोडता हूँ।
तब ते नाव धार फे सहारे वह रही घी, खेने की आव-
श्यकता द्वी न थी। इसी से मेरी मूर्खता न खुली | पर अब ९
हब ते इस गम्भीर जल से चतुर नाविक फे बिना और कौन
नाव निकाल सकता है ९
परन्तु मैं तुम्हारी बडाई किस मुख से फररूँ | तुम मेरी
मूख॑ता पैर प्रभिमान तथा अपने पअ्रपमान की झोर नहीं देखते
और सप्रेम डांड लेकर नाव किनारे की शोर चलाते दवा ।
श्पु
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