तत्त्वार्थसूत्र जैनागम - समन्वय | Tattvarth Sutr Jaina Gam Samanvay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथमाध्याय [ 8
छाया--. नादर्शिनिनो ज्ञान, ज्ञानेन विना न भवन्ति चारित्रयुणाः |
झआगुशिनो नास्ति मोक्ष, नास्तयमोक्षस्य निर्वाणम्॥
त्रिविध सम्यग् प्रजप्त तथया ज्ञानसम्यग्
दर्शनसम्यक् चारित्रसम्यगू |
मोक्षमार्गगति तथ्यां, शुशुत जिनभापितामू ।
चतु/कारणससयुक्ता, ज्ञानदर्शनलक्षणाम् ॥
प्ञान च दर्शन चैव, चारित्रं च तपस््तथा |
एप मार्ग इति प्रज्ञत्त ३, जिने्॑रदर्शिभिः ॥
जान च दर्शन चैव, चारित्र च तपस्तथा ।
एत मार्गमनुभाप्ता , जीवा गच्छन्ति सुगति॥
परी आप मम परम ली
त॑ जहा -सुयनिस्सिए चेव असुयनिस्सिए चेव १८। सुयनिस्सिए ढुविददे पण्णत्ते, त जहा
अत्योगादे चेव वंजणोग्गदे चेब १६ । 'सुयनिस्सितेडवि एमेव २० | सुयनाशे दुचिह्े
पयणत्ते, त॑ जद्दा - अगपविट्टे चेव अंगवाहिरे चेव २१ | अंगवादिरे दुविदे पर्णत्ते,
त॑ जद्दा - आवस्सए चेव आवस्सयवइरित्ते चेव २२ | आवस्सयवतिरित्ते दुविहे पण्णत्ते,
त॑ जहा - फालिए चेव उक््कालिए चेव २३॥
स्थानाब्नसून्र० स्थान २, उद्दे० १ सूत्र ७१
दुविदे धम्मे पण्णत्ते, त॑ जहा - सुयधम्मे चेव चरित्तघम्मे चेव । सुयधम्मे
दुविद्दे परणत्ते, त॑ जद्दा-सुत्तसुयधम्से चेव अत्थसुयधम्मे चेव। चरित्धम्मे ठुविदे पण्णत्त,
त जहा - आगारचरित्तधम्मे चेब अणगारचरित्तथम्मे चेव ।
दुविदे संजमे परणते,* त जद्दा - सरागसंजमे चेव वीतरागसंजमे चेव । सराग
संजमे दुविहे परणत्ते, त जद - सुहमसंपरायसरागसंजमे चेव वादरसपरायसरागसंजमे
चेव । सुहुमसंपरायसरागसजमे ढुविद्दे पणणत्ते, व जहा-पढमसमयसुहुमसपरायसरागसजमे
चेव हअपदमसमयसु० । अथवा चरमसमयसु० अचरिमसमयसु० 1 अदृवा सुहमसपराय-
सरागसंजमे छुविद्दे पण्णत्ते, तं जहा - संकिलेसमाणए चेव विसुज्कमाणए चेव। बादर-
+ * झगायारचरि्तधम्मे दुविदे पणणतते,' इत्यपि पाठान्तरम् |
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