भौतिक और रसायन | Bhautik Aur Rasayan

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Bhautik Aur Rasayan by ई॰ जी॰ हिल - E. G. Hil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) गरम पानी क्रा तापक्रम न्ज्ब०० मिथण का तापक्रस >्+33 ३१ (7 इस लिये ठढ पानौ के त|पक्रम कौ हड्धि अब अंक ए ओर गरम पानी के तापक्रम का पतन पन्58?(: गरम पानी की दी हुईं गरसी 5८ 245 > 038 टवो0765 ब्| 166 6 ८॥07165 इस गरसी ने केवल ८७४।००४८८४/ के पानो हो को गरस नही किया है वरन्‌ ८४०००८८४ को भी गरम किया है। परन्तु चूकि 37 870 पानो 42 ० गरम होने के लिये इस गरमो में से 37% 4 2 ८४।०:४८५ अर्थात्‌ 755 4 ८०|०४९७५ लो है, इस लिये ०४०7शा८८० ने 4 2”? ८ गरम होने के लिये 166 6--158 4 ०७॥०1165 अर्थात्‌ 11 2 ८०४०11९5 अवश्य ली चोगी। प्रस लिये ८४1००ँ़८८८० 1 ८ गरम होने के लिये गए ८००1९5 अथौत्‌ 2 9 ५७1०7९5 लेता है। यह गरमी 29 871 पानो के तापक्रम को 77 ० बढा देगा। इस लिये ८४४०४॥1८८८० का समशक्तिक पानो अथौत्‌ वह अतिरिक्त पानी जो 1 ० गरम होने के लिये उतनो हो गरमो लेगा जितनी कि ८७1०४॥॥९(८० खय 1 0 गरम होने के लिये सेगा, 27 8ए है। (छ0्ता1शाढ- की ली ष्हुड़े गरसी का विचार करके ठोस वस्तु का आपेक्षिक ताप शुद्धता के साथ निकालना । यदि तुमको ८४०1एा८८४ के समशक्तिक पानो का यरिसाण समालम हो तो तुम्हें भ्रापेचिक ताप के लिये णो फल ्




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