कन्याओं की पोथी | Kanyaon Ki Pothi

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Kanyaon Ki Pothi by रामदास गौड़ - Ramdas Gaud

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ही है, बहिन ओर भापजञ ] श्र पने छोटे भाश्यों ओर बहिनों को अपनी ओर से कुछ जरूर ॥ फ्योंकि तुम बड़ी हो। उर््हें भी हिस्से का खिल्लेना मिठाई प्रेल्ली होगी पर तुमले भी उनका हक है। उनके हिस्ले में से म्सी मत छीनो। थह अपनी खुशी से खिलावे तो कोई दहरज पह्दी । यही बात अपने बडे भाइयों बहिनों से व्यवहार में निभानी चाहिये । अपने बड़े भाई चहिन अगर तुम्हें अपने हिस्से में से छुछ न दे तो चुरा न भानों । तुम्दाण छीन छ तो शिकायत मत करो छोटी होते भी तुम्दारी इज़्जत सह लेने में बढ़ जाथगी। तुम्हे चाहिये कि अपने हिस्से में से अपने बडे भाइयों बहनों को भी जश जरा दो | इसले आयस का मेल बढ़ता है। आपस में लडाई होनी अत्यन्त नीचता है। लछड़ोगी तो लोग तुम्हें नीच कहगे । किसीसे कोई कडी वात न कहो । मीठी और प्यारी बातों से सभी छोटे बडे तुर्हे प्यार करेंगे। कड़यी ओर कही पाते मुंद से निकालोगी तो लोग तुम्हें फटकार देंगे। कोई तुम्हें न चाहेंगा। मीठी ओर प्यारी बात वी करन है। सब छोग इससे बस में हो जाने हैं। कहा भी है-- “दरसीकरन यह मत्र है, तजदें बचन कठोर? तुम्हारी सखी सहैलिया भी तुम्हारे कडे वरताव से रूठ




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