विश्व साहित्य की रूपरेखा | Vishva Sahitya Ki Rooprekha

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Vishva Sahitya Ki Rooprekha by भगवत शरण उपाध्याय - Bhagwat Sharan Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भंप्रेजी साहित्य थ् की दुष्य॑वस्था घन के अनाचार आदि प्रचुर परिमाण में चौदहवीं सदी की इस असामान्य कृति में प्रतिबिम्बित हैं । लँगलैंड आधुनिक समाज-शास्त्री की भाँति काव्यतः समाज का विदलेषण करता है । उसकी धारणा है कि श्रम और ईसाई धर्म की सेवा में ही मनुष्य का कल्याण है। उसने ईसाई-जींवन के आदर्शों से अनुप्राणित अंग्रेजी का सर्वोत्तम काव्य लिखा और उस क्षेत्र में महाक्िं दांते के सन्निकट पहुँच गया । छगता है यदि वह रहस्यवादी न हो गया होता तो निष्चय ही क्रांति का अग्रदूत होता । पन्द्रहवीं सदी का कॉांव्य-साहित्य सर्वथा नीरस तो नहीं कहा जा सकतः परन्तु है वह प्रतीकत परावलंबित । उस सदी का अधिकतर काव्य चॉसर से अनुप्राणित और प्रकारत उसी की छृतियों का रूपान्तर है। स्वतन्त्र क़ृतियों का उस युग में प्रायः. अभाव है जिसका एक कारण शायद यह भी है कि चॉसर-सा सुकवि उसका पूर्व॑वर्ती प्रतीक है। टॉमस ऑक्लीव और जॉन लीडगेट इसी परंपरा के कवि हैं और वह स्टिफ़ेन हॉवेस भी जिसने दि पास्टाइम ऑँव प्लेज़र की रचना की । पत्द्रहवीं सदी के पिछले सपक्ष में जॉन स्कैल्टन नांम का समर्थ कवि हुआ । उसकी कविटा में काव्यत्व की कसी है व्यंग्यात्मकता जहाँ-तहाँ फूहड़ तक है परन्तु परंपरागत काव्य-सौंदयं के अभाव के बावजूद उसमें एक जनपरक ताजगी है । स्कॉँच कवि स्काटलैंड में चॉसर का विस्तार अधिक योग्यता से हुआ । टेस्टेमेंट ऑफ क्रेसिड और किगिस कवर उस दिदा में सुन्दर प्रयास हैं । चॉँसर का अनुवर्ती होकरं भी विलियम डनवबर टैस्टेमेंट ऑफ क्रेसिड के रचयिता रॉबटे हेनरीसन के विपरीत अपने परों पर खड़ा है । मध्यकालीन चारण की भाँति उसकी वाणी तत्कालीन जीवन को मूरततिमान्‌ करती है । गेविन डगलेस भी इसी परिवार का कवि है और यद्यपि उसकी अपनी स्वतन्त्र कृतियों ने आधुनिक आलोचकों को विशेषत प्रभावित नहीं किया फिर भी उसका वर्जिछ का अंप्रेजी अनुवाद निःसंदेह सत्य है। स्कॉटलैंड के नुपति जेम्स प्रथम की काव्य-मेघा उस काल सजग थी ओर उसके किंगिस ववेर में राज-रचना का एक नमूना हमें उपलब्ध है । मजा अनातागराकलनत कलन्यततायाापतदपवगजतलसतलपरिताकापिरपतपरिरततिलाजलसलटलनवमपापवावतनपापततपपायिकलानवकलनमनतपत श् गिल कया (१३७०-१४५४ | २. उुणछए वे-लतछुफट श३७३-१४५० ) दे ३ 3८टुशा दा सिकिपाद (१ ७५-१५३० ४ चुणण डध्लाधणा . (रब ६०-१५२९) व राए एप 921 १४६०-१५२० | . ६. किला सिंलाएपुइ0 १४२५-१५०० ) दे हू. सदर ए०प्डोॉ०ड ( श४५-१५२२) ८. उुव्ण्ण्ब दर [१३९४-३१ उ)




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