आधी सदी का फासला | Aadhi Sadi Ka Fasala

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Aadhi Sadi Ka Fasala by विश्वनाथ सचदेव - Vishvanath Sachadev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मनुष्य जो भी श्रेष्ठ है मनुष्य में सबसे पहले चढ़ती है बलि उसकी युद्ध में सत्य, न्याय, विवेक हो जाता है स्वाहा सब। दिया होगा अर्जुन को कृष्ण ने ज्ञान सिखाया होगा अन्याय के विरुद्ध लड़ने का अर्थ बताई होगी महत्ता और महिमा अत्याचार के बरक्स लड़ने की, मरा था युद्ध में दुर्योधन, सच है, कर्ण भी, भीष्म भी, आचार्य ब्रोण भी, सच है, किंतु क्या सच नहीं उस धर्मक्षेत्र में बलि चढ़ा था स्वयं धर्मयुद्ध, धँसा था रथ कर्ण का, सच है यह, किंतु क्या सच नहीं अर्जुन के बाणों से उस दिन क्षत हुआ क्षात्र-धर्म भी ? युद्ध में विजय के बाद पांडुपुत्रों को मिला था एक हस्तिनायुर, सच है, किंतु कुरुक्षेत्र में हत हुआ था एक पूरा हस्तिनापुर भी सैनिक मरे थे रणभूमि में, सच है यह, किंतु कोई भाई भी मरा था। और भी बहुत कुछ था युद्ध में मुष्य था, रिश्ते थे। आधी सदी का फ़ासला : २५




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