महापरिनिर्वाण सूत्र | Mahapari Nirvan Sutra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सहापरिनिय्रान सुर्त हु
मिव्खून धम्पि कय करोति ) इति सील, इति समाधि, इति पण्जा |
सील परिभावितों समाधि महप्फलों होति महानिससों | समावि
परिभाविता परतञ्णा मह्फला होति महानिससा। पश्या परिभावित
वित्त सम्मदेव आसवेहि विम्रुध्धति | सेय्यथिदं--कामासवा, भवासवा/
अविज्जासवा, ति ।
(५१) झथ सख्रो भगवा अम्बलद्विकाय ययामिरन्त' विहरित्वा
आयस्मन्त' आनन्द भआमन्तेसि 'शायामानन्द ! येन नालन्दा,
तेनुपसड्ड मिस्सामा, ति !'
“एवं भम्ते', ति खो आयस्पा आनन्दो भगवतों पच्चस्सोसि ।
(२२) अय खो भगवा महता भिक््खु सघेन सद्धि येन नालम्वा।
तद्वसरि | तत्र सुद भगवा नालन्दाय विदरति पावारिकम्ववबने ।
अय खो आयस्मा सारिपुत्तो येन भगवा, तेमुपसड्टूमि । उपसड्ूमित्वा
अंगवन्त अभिवादेत्वा एकमन्तर निसीदि। एकमर्त मिसिन्नो खो
» (२१ ) भगगाने अम्वलद्टिकामें यथेच्छ विद्यार कर 'आयुप्मान् 'आनन्दकों
आंमज्रित किया--
“चलो आनन्द । जहाँ नालन्दा है, वहाँ चलें 1? “अच्छा, भन्ते 7?
बुद्धके प्रति सारिपृत्र॒का उद्गार
नालन्दा-- ;
(२२ ) वन सगयान् बहाँसे महामिशु-सघके साथ जहाँ नालन्दा थी, वहाँ
पहुँचे । बहाँ भगवान् नालन्दा#में भ्रवारिक आम्रयनमें विहार फरते थे।
तब आयुष्मान् सारिपुओ जहाँ भगयान् थे, वहाँ गये। जाकर भगवानको
अभिवादनकफर एक आर बैठ गये। एक ओर बैठे आयुप्मान् सारिपु्नने
मगवाइसे कहा--
% वर्तमान बछ्गाँव, जिला पटना |
ए० १२४ दि० १ से हज इस बक्ध दोना सन्दिग्ध है |
च
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