महापरिनिर्वाण सूत्र | Mahapari Nirvan Sutra

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Mahapari Nirvan Sutra by भिक्षु कित्तिमा - Bhixu Kittima

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सहापरिनिय्रान सुर्त हु मिव्खून धम्पि कय करोति ) इति सील, इति समाधि, इति पण्जा | सील परिभावितों समाधि महप्फलों होति महानिससों | समावि परिभाविता परतञ्णा मह्फला होति महानिससा। पश्या परिभावित वित्त सम्मदेव आसवेहि विम्रुध्धति | सेय्यथिदं--कामासवा, भवासवा/ अविज्जासवा, ति । (५१) झथ सख्रो भगवा अम्बलद्विकाय ययामिरन्त' विहरित्वा आयस्मन्त' आनन्द भआमन्तेसि 'शायामानन्द ! येन नालन्दा, तेनुपसड्ड मिस्सामा, ति !' “एवं भम्ते', ति खो आयस्पा आनन्दो भगवतों पच्चस्सोसि । (२२) अय खो भगवा महता भिक्‍्खु सघेन सद्धि येन नालम्वा। तद्वसरि | तत्र सुद भगवा नालन्दाय विदरति पावारिकम्ववबने । अय खो आयस्मा सारिपुत्तो येन भगवा, तेमुपसड्टूमि । उपसड्ूमित्वा अंगवन्त अभिवादेत्वा एकमन्तर निसीदि। एकमर्त मिसिन्नो खो » (२१ ) भगगाने अम्वलद्टिकामें यथेच्छ विद्यार कर 'आयुप्मान्‌ 'आनन्दकों आंमज्रित किया-- “चलो आनन्द । जहाँ नालन्दा है, वहाँ चलें 1? “अच्छा, भन्‍ते 7? बुद्धके प्रति सारिपृत्र॒का उद्गार नालन्दा-- ; (२२ ) वन सगयान्‌ बहाँसे महामिशु-सघके साथ जहाँ नालन्दा थी, वहाँ पहुँचे । बहाँ भगवान्‌ नालन्दा#में भ्रवारिक आम्रयनमें विहार फरते थे। तब आयुष्मान्‌ सारिपुओ जहाँ भगयान्‌ थे, वहाँ गये। जाकर भगवानको अभिवादनकफर एक आर बैठ गये। एक ओर बैठे आयुप्मान्‌ सारिपु्नने मगवाइसे कहा-- % वर्तमान बछ्गाँव, जिला पटना | ए० १२४ दि० १ से हज इस बक्ध दोना सन्दिग्ध है | च




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